यही कारण है कि दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों में बच्चों को सिखाने के लिए शब्दों को बार-बार दोहराया जाता है, जैसे पापा, दादा, मामा, काका, चाचा आदि। इस अध्ययन के दौरान शोध दल ने 18 महीने के बच्चों पर विभिन्न तस्वीरों और कंप्यूटर स्क्रीन के माध्यम से अध्ययन किया। उनकी आंखों की पुतलियों की रिकॅार्डिंग से पता चला कि दोहराव वाली चीजों से तेजी से सीखते हैं। यह अध्ययन लैंग्वेज लर्निग एंड डवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित हुआ।