निदेशक की ओर से मान्यता रद्द किए जाने को लेकर एनसीवीटी को सिफारिश भेजनी थी, जो अभी तक नहीं भेजी गई है। इसके अलावा जिन संस्थानों में मामूली कमियां थी और उन्हें कमेटी ने हिदायत दी थी, उनको भी निदेशक ने अभी तक नोटिस नहीं दिए। जबकि मंत्री की ओर से गठित की गई दूसरी कमेटी नोटिस जारी कर पुन: जांच के लिए कह रही है, जो उसके अधिकार से ही बाहर है।
नोटिस जारी नहीं करने पर हो रहे सवाल खड़े, कहीं रफा-दफा तो नहीं कर रहे
आठ माह की जांच के बाद भी निदेशक की ओर से कार्रवाई के लिए नोटिस जारी नहीं करने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। उधर, पहली कमेटी से जांच बीच में ही वापस लेकर दूसरी कमेटी को सौंपने के बाद से कमेटी ने जांच के लिए नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है। जबकि सूत्रों की मानें तो नोटिस निदेशक ही जारी कर सकते हैं।
मंत्री जसवंत यादव की ओर से भी निदेशक ए.के. आनन्द को सख्त कार्रवाई करने के लिए नहीं कहा गया। ऐसे में संचालन के पर्याप्त संसाधन नहीं होने के बावजूद आइटीआइ संस्थान बच्चों को भर्ती कर कोर्स करा रहे हैं, जो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। दूसरी बनाई नई कमेटी रेण्डम जांच के नाम पर पहले नोटिस जारी कर जांच के लिए कह रही हैं। कहा जा रहा है कि मामलों को अपने स्तर पर ही निपटाने के प्रयास भी चल रहे हैं। उधर, नोटिस जारी करने से संस्थान संचालक सचेत हो गए हैं।