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313 अरब डॉलर हो सकता है भारत का शिक्षा और स्किल बाजार

भारत का शिक्षा और स्किल बाजार 2030 में 313 अरब डॉलर हो सकता है। 2020 में यह 180 अरब डॉलर का था। इस आधार पर इसमें दोगुना से भी ज्यादा की बढ़त की उम्मीद है। कैंब्रिज एजुकेशन लैब यानी सीईएल ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने की जरूरत बताई है। सीईएल के संस्थापक सुयश भट्ट […]

जयपुरJun 03, 2024 / 07:26 pm

Narendra Singh Solanki

भारत का शिक्षा और स्किल बाजार 2030 में 313 अरब डॉलर हो सकता है। 2020 में यह 180 अरब डॉलर का था। इस आधार पर इसमें दोगुना से भी ज्यादा की बढ़त की उम्मीद है। कैंब्रिज एजुकेशन लैब यानी सीईएल ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने की जरूरत बताई है। सीईएल के संस्थापक सुयश भट्ट का कहना है कि सीईएल ने भारत के साथ यूके, फिनलैंड, इंडोनेशिया और एस्टोनिया में कई शिक्षा सम्मेलन आयोजित किए हैं और अब स्कूल लीडरों, शिक्षकों और छात्रों के लिए कई किफायती शिक्षा कार्यक्रम विकसित करने पर विचार कर रहा है। सीईएल प्रोग्राम ने जम्मू और कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक भारत के कई राज्यों के 60 से अधिक स्कूलों और एक लाख से अधिक छात्रों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है।

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भारत के पास जनसांख्यिकीय लाभ

भारत के पास जनसांख्यिकीय लाभ है, क्योंकि यहां 5 से 24 वर्ष की आयु वर्ग के 580 मिलियन से अधिक लोगों के साथ शिक्षा का एक बड़ा बाजार है। वर्ष 2020 में भारत की 68 फीसदी आबादी युवा है और इसकी 55 फीसदी आबादी 20 से 59 आयु वर्ग (कार्यशील आबादी) में है और अनुमान है कि 2025 तक यह कुल आबादी का 56 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इसके अतिरिक्त, भारत 2030 तक 140 मिलियन मध्यम-आय और 21 मिलियन उच्च-आय वाले परिवारों को जोड़ेगा, जो भारतीय शिक्षा क्षेत्र की मांग और विकास को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, देश ने प्राथमिक स्तर पर 100 फीसदी सकल नामांकन अनुपात हासिल किया है, जो विकसित देशों के बराबर है। भारत सरकार, एनईपी के माध्यम से, व्यावसायिक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2018 में 26.3 फीसदी से बढ़ाकर 2035 तक 50 फीसदी करने का लक्ष्य रखती है।

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15 करोड़ लड़कियों का छूटा स्कूल

कोविड-19 के दौरान लगभग 150 मिलियन यानी 15 करोड़ लड़कियां सीधे तौर पर स्कूल बंद होने से प्रभावित हुईं हैं। ग्रामीण भारत में लगभग 90 मिलियन यानी नौ करोड़ लड़कियां बिना किसी महत्वपूर्ण सीखने के अवसर के थीं। अगर इन लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित पहुंच प्रदान की जाती है, जो कि किफायती शिक्षा ऋण प्लेटफार्मों, छात्र आवास, पाठ्येतर और पूरक शिक्षा, और सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा में पर्याप्त निवेश द्वारा समर्थित है, जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया है, यह एक लंबा रास्ता तय करेगा। उस प्रभाव को अनलॉक करने में जिसकी इस समय बहुत आवश्यकता है।

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छात्रों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्रदान करना

कैम्ब्रिज एजुकेशन लैब ने अब देश के दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों तक पहुंचने की योजना बनाई है। इसके लिए सीईएल ने देश के स्कूलों के साथ समझौते करने शुरू कर दिए हैं। कैम्ब्रिज एजुकेशन ने अब 9वीं से 12वीं कक्षा के भारतीय छात्रों के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट शुरू किया है, जो खास तौर पर टियर 2 और टियर 3 शहरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को कैम्ब्रिज की एक सप्ताह की एक्सप्लोरेशन ट्रिप के लिए पूरा फंड दिया जाएगा, जिसका उद्देश्य छात्रों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्रदान करना है।
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वैश्विक शिक्षा पद्धतियों को अपनाने की जरूरत

पिछले साल भारत के 25 से 30 स्कूलों को इन विश्वविद्यालयों में आमंत्रित किया गया था, जबकि 30 स्कूल ऑनलाइन जुड़़े थे। इनके मालिकों ने वहां की शिक्षा व्यवस्था देखी और वे इस व्यवस्था को यहां पर लेकर आने वाले हैं। कैंब्रिज एजुकेशन लैब की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में काफी सारे बदलावों की जरूरत है। कैम्ब्रिज एजुकेशन लैब वैश्विक शिक्षा पद्धतियों और भारतीय शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटने के लिए और अधिक मिशन शुरू करने का प्रयास कर रहा है।

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