scriptIPC: कैदी को फांसी देने के पहले जेलर व जल्लाद को करना पड़ता है ये काम | IPC: how criminals are given death sentence in india | Patrika News

IPC: कैदी को फांसी देने के पहले जेलर व जल्लाद को करना पड़ता है ये काम

locationजयपुरPublished: Oct 03, 2019 11:57:50 am

IPC: कानून के अनुसार गंभीर अपराध करने वाल अपराधियों को मृत्युदंड दिया जाता है, कुछ विकसित देशों यथा अमरीका में उन्हें करंट अथवा विष का इंजेक्शन देकर मृत्युदंड दिए जाते हैं।

education news in hindi, indian penal code, indian judiciary, education, legal law, legal knowledge, general knowledge, indian court, supreme court of india decision, IPC, ashok gehlot news, rajasthan news, rajasthan, rajasthan news in hindi, latest rajasthan news

Legal News

IPC: कानून के अनुसार गंभीर अपराध करने वाल अपराधियों को मृत्युदंड दिया जाता है, कुछ विकसित देशों यथा अमरीका में उन्हें करंट अथवा विष का इंजेक्शन देकर मृत्युदंड दिए जाते हैं, खाड़ी देशों में तलवार से सिर कलम करके अथवा सिर में गोली मारकर प्राण लिए जाते हैं, परन्तु अधिकतर देशों में आज भी फांसी की सजा दी जाती है।

फांसी की सजा कैसे मिलती है, उसके पहले क्या प्रोसेस होता है, किस तरह की कार्यवाही की जाती है, यह अभी तक आम जनता के लिए एक रहस्य ही बना हुआ है। इस वीडियो में हम जानेंगे कि भारतदेश में किसी व्यक्ति को फांसी की सजा देने के पहले क्या तैयारियां की जाती हैं।

कोर्ट द्वारा फांसी की सजा मिलने के बाद जेलर द्वारा फांसी का समय निर्धारित किया जाता है। फांसी के लिए सूर्योदय से पहले का कोई प्रावधान नहीं है फिर भी यह प्रायः सुबह का समय ही रखा जाता है। सुबह का समय इसलिए लिया जाता है कि बॉडी को समय रहते उसी दिन घर वाले ले जा सके और अंतिम संस्कार कर सके।

ये भी पढ़ेः हर महीने कमाएंगे लाखों, बनाएं एथिकल हैकिंग में कॅरियर

ये भी पढ़ेः आजमाएं ये आसान से उपाय तो पक्का मिलेगा प्रमोशन और बढ़िया सैलेरी

जेलर द्वारा समय निश्चित किए जाने के बाद जल्लाद को मृत्युदंड की तारीख की सूचना दे दी जाती है। जल्लाद को एक फांसी के लिए 5000 रुपए दिए जाते हैं। जेल के ही कैदियों द्वारा फांसी का फंदा तैयार किया जाता है। यह कार्य बक्सर जेल में किया जाता है। पहले जूट की रस्सी के लिए घी पिलाने सहित तमाम तैयारियां की जाती थी लेकिन अब तैयार रस्सी में बोरिक पाउडर लगाया जाता है। रस्सी तैयार होने के बाद फांसी के ट्रायल के लिए जल्लाद फांसी घर में सभी तकनीकी चीजों को चेक करता है। लिवर में लिवर में ऑयल ग्रीसिंग किए जाने के बाद फांसी का ट्रॉयल किया जाता है। फांसी के ट्रॉयल के लिए जल्लाद द्वारा अपराधी का वजन कर उसी वजन के बराबर मिट्टी से भरा बोरा लिया जाता है, उसमें गले की जगह एक ईंट बाँध दी जाती है।

इस प्रकार उस बोरे को फांसी पर लटकाकर पूरा ट्रायल किया जाता है। जल्लाद द्वारा सीधे ट्रॉयल के बाद फांसी दे दी जाती है परन्तु इसके पहले भी काफी सारी कागजी कार्यवाही व अन्य चीजें परखी जाती हैं।

फांसी के लिए रस्सी बांधना ही सबसे बड़ी कलाकारी होती है। लकड़ी के लट्ठे पर रस्सी से पहले बोरी के टाट को लपेटा जाता है। बोरी के टाट का मुख्य कार्य रस्सी को एक ही जगह जकड़े रखना होता है। रस्सी को तीन जगहों लट्ठे पर बाँधा जाता है उसके बाद कई गांठे भी लगाई जाती है।

फांसी के एक दिन पहले होती है जेलर डॉक्टर तथा जल्लाद के साथ मीटिंग करता है। उस मीटिंग में फांसी के समय की सभी कार्यवाहियों को सुनिश्चित किया जाता है। फांसी के समय वहां मौजूद मौजूद अधिकारी, सिपाही व अन्य लोग मुंह से एक शब्द नहीं बोलते वरन इशारों में ही कार्य करते हैं।

मृत्युदंड के अपराधी को सिपाही फांसी के तख्त पर पकड़कर लाते हैं। जहां उसके पाँव बांध कर मुंह पर टोपा पहनाया जाता है। अपराधी को तख़्त पर सफ़ेद निशान के ऊपर खड़ा किया जाता है। इसके बाद जेलर द्वारा रूमाल से इशारा किए जाने पर जल्लाद फांसी का लिवर खिंच लेता है। फांसी के 15 मिनट बाद बॉडी को उतार कर डॉक्टर द्वारा मृत्यु की पुष्टि की जाती है और कागजी कार्यवाही कर शव को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो