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दिन में वेटर की नौकरी और रात में पढ़ाई के बाद पूरा हुआ IAS बनने का सपना, जरूर पढ़ें

Education News

जयपुरDec 26, 2018 / 11:44 am

Deovrat Singh

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Motivational Story : तमिलनाडु में रहने वाले गणेश एक बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे जो चार भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। पिता एक फेक्ट्री में काम किया करते थे जिन्हे मासिक वेतन के तौर पर 4500 रूपए महीना मिलता था। इतनी छोटी सी तनख्वाह में घर चलाना ही बहुत मुश्किल था जो बच्चों की अच्छी पढ़ाई तो कहाँ से हो पाती। लेकिन गणेश ने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा 91 प्रतिशत अंकों के साथ पास की और मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए Thanthai Periyar Government Institute of Technology में एडमिशन ले लिया। लेकिन पढाई का खर्चा उठाने के लिए परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। इसलिए उन्हें बेंगलुरु की एक कंपनी में नौकरी करनी पड़ी थी लेकिन उस वक्त उन्हें समझ आ गई की इस नौकरी में न तो वे घर का खर्चा चला पाएंगे या ना ही अच्छे से पढ़ पाएंगे। नौकरी करते वक्त गणेश अपने गाँव वालों की दयनीय स्थिति को याद करता रहता था। गणेश खुद की कमाई से गाँव की हालात सुधारना चाहते थे मगर इस नौकरी में यह सब मुमकिन नहीं था। इसलिए गणेश ने IAS बनने के निश्चय कर लिया और नौकरी छोड़कर IAS की पढ़ाई शुरू की।

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गणेश शुरूआती दो बार में IAS प्रारंभिक परीक्षा भी क्वालीफाई नहीं पाए, उसके बाद उन्होंने चेन्नई की एक गवर्नमेंट IAS कोचिंग का एंट्रेंस एग्जाम उत्तीर्ण कर ज्वाइन कर लिया। यहाँ कोचिंग में गणेश को खाने और रहने की फ्री सुविधा मिली लेकिन एग्जाम ख़त्म होने के बाद उन्हें कमरा खाली करना पड़ा जिसके बाद उन्हें दो वक्त का खाना भी अच्छे से नसीब नहीं होता था। गणेश ने इन सभी मुश्किलों को इरादों के सामने नहीं आने दिया। गणेश ने एक छोटे से होटल में पार्ट टाइम वेटर की नौकरी कर ली, जहाँ दिन के वक्त वो नौकरी करते और रात में पढ़ाई करने लगे। पांच साल तक गणेश को IAS प्री क्वालीफाई में भी सफलता नहीं मिली लेकिन छठें मौके में प्री और मैन एग्जाम में सफलता हासिल कर ली। दोनों परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर इस नौकरी के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इसी तैयारी के दौरान ही गणेश ने IB की परीक्षा दी थी जिसमें सफलता मिल गई थी लेकिन गणेश के सामने एक तरफ IB की नौकरी तो दूसरी तरफ सातवें मौके में IAS की नौकरी में सफलता पाना दोनों ही विकल्प थे। गणेश ने खुद पर भरोसा रखकर एक बार फिर से IAS की परीक्षा देने का फैसला किया। सातवीं बार जब जय गणेश ने परीक्षा दी तो मेहनत का परिणाम उनके सामने था। जय गणेश ने पुरे देश में 156वीं रैंक हासिल की और IAS बनने का सपना पूरा किया।

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