इसके साथ ही पीएचडी करने के इच्छुक स्कॉलर्स के लिए अब रिसर्च पेपर जर्नल्स में पब्लिशिंग जरूरी होगी। पहले रिसर्च पेपर का वेटेज काफी कम था। जानकारी के अनुसार, पहले सिर्फ इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पेपर प्रजेंट करने का ही क्राइटेरिया रखा जाता था, लेकिन सीनेट में नियमों में बदलाव कर दिया गया है। नए बदलाव के अनुसार, अब पीएचडी स्टूडेंट्स के रिसर्च पेपर का स्कोपस और एससीआइ जर्नल में पब्लिकेशन जरूरी होगा, या फिर एक रिसर्च पेपर और दो कॉन्फ्रेंस पेपर (स्कोपस अप्रूव्ड) होने चाहिए। कॉन्फ्रेंस स्कोपस अप्रूव्ड ही होनी चाहिए, लोकल नहीं।
– प्रो. उदयकुमार यारागट्टी, डायरेक्टर, एमएनआइटी
एमएनआइटी ने इस बदलाव के लिए स्टूडेंट्स से गूगल फॉर्म और मेल भेजकर पिछले दिनों सहमति मांगी थी। अधिकारियों के अनुसार, 90 प्रतिशत स्टूडेंट्स ने इस पर सहमति दी थी कि मिडटर्म एक ही होना चाहिए।