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MNIT: Ph.D. करने के लिए जरूरी होगी रिसर्च पेपर पब्लिशिंग, ये हैं नए नियम

नए नियम के मुताबिक थीसिस के इवेल्यूएशन के लिए अब एक इंडियन और एक ही फॉरेन इवेल्यूएटर का होना जरूरी होगा। साथ ही दोनों को 15 दिन में कंसेंट देना पड़ेगा।

जयपुरDec 10, 2018 / 01:31 pm

सुनील शर्मा

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मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNIT) से पढ़ाई कर रहे और नए सेशन से एडमिशन लेने के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए खुशखबर है। अब स्टूडेंट्स को एक सेमेस्टर में एक ही मिडटर्म एग्जाम देना होगा। पहले एक सेमेस्टर में दो मिडटर्म देने पड़ते थे। साथ ही फै कल्टी पर भी एग्जामिनेशन संबंधी अतिरिक्त भार रहता था। इस परेशानी को दूर करने के लिए एग्जामिनेशन को आसान बनाने के लिए सीनेट में इस बदलाव को सहमति मिली है। mnit प्रशासन के अनुसार, ज्यादातर NITs में एक ही मिडटर्म एग्जाम की व्यवस्था है।
नियमों में बदलाव
इसके साथ ही पीएचडी करने के इच्छुक स्कॉलर्स के लिए अब रिसर्च पेपर जर्नल्स में पब्लिशिंग जरूरी होगी। पहले रिसर्च पेपर का वेटेज काफी कम था। जानकारी के अनुसार, पहले सिर्फ इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पेपर प्रजेंट करने का ही क्राइटेरिया रखा जाता था, लेकिन सीनेट में नियमों में बदलाव कर दिया गया है। नए बदलाव के अनुसार, अब पीएचडी स्टूडेंट्स के रिसर्च पेपर का स्कोपस और एससीआइ जर्नल में पब्लिकेशन जरूरी होगा, या फिर एक रिसर्च पेपर और दो कॉन्फ्रेंस पेपर (स्कोपस अप्रूव्ड) होने चाहिए। कॉन्फ्रेंस स्कोपस अप्रूव्ड ही होनी चाहिए, लोकल नहीं।
इसके साथ ही एमएनआइटी सीनेट में कई एकेडमिक्स के कई बदलावों पर मुहर लगाई गई है। इवेल्यूएशन प्रॉसेस के नियमों में भी बदलाव कर किया गया है। इवेल्यूएशन के लिए पहले दो इंडियन और एक फॉरेनर इवेल्यूएटर का होना जरूरी था। इनकी रिपोर्ट आने में पहले काफी समय लगता था। नए नियम के मुताबिक थीसिस के इवेल्यूएशन के लिए अब एक इंडियन और एक ही फॉरेन इवेल्यूएटर का होना जरूरी होगा। साथ ही दोनों को 15 दिन में कंसेंट देना पड़ेगा। इसके एक महीने बाद रिमांडर भी जाएगा और दो से तीन महीने में इवेल्यूएशन करवाया जाएगा।
‘स्टूडेंट्स और फैकल्टीज पर एग्जामिनेशन का अतिरिक्त भार न पड़े, इसके लिए सीनेट में इनिशिएटिव लिया गया है। इसके साथ ही पीएचडी के नियमों को भी चेंज किया गया है।’
– प्रो. उदयकुमार यारागट्टी, डायरेक्टर, एमएनआइटी
स्टूडेंट्स से मांगा था फीडबैक
एमएनआइटी ने इस बदलाव के लिए स्टूडेंट्स से गूगल फॉर्म और मेल भेजकर पिछले दिनों सहमति मांगी थी। अधिकारियों के अनुसार, 90 प्रतिशत स्टूडेंट्स ने इस पर सहमति दी थी कि मिडटर्म एक ही होना चाहिए।

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