सपिंड विवाह एक ऐसी शादी होती हैं जिसमें अपने नजदीकी रिश्तेदारों से विवाह कर किया जाता है। सपिंड का मतलब होता है जिसमें एक ही खानदान के लोग एक ही पितरों का पिंडदान करते हैं। कोई भी व्यस्क पुरुष व महिला अपनी मर्जी से किसी भी जाति, धर्म में शादी कर सकते हैं, लेकिन कुछ मामलों में शादी फिर भी मुमकिन नहीं, जैसे कि सपिंड विवाह।
सपिंड विवाह क्या है what is sapinda marriage
आसान शब्दों में समझें तो सपिंड विवाह मतलब एक ही पिंड के शादी। हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 3(f(i) के अनुसार, एक हिंदू व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं कर सकता जो मां की ओर से उनकी तीन पीढ़ियों के अंदर हो। पिता की ओर से, यह कानून पांच पीढ़ियों पर लागू होता है। जिसकी तीन पीढ़िया एक ही वंश की हो उसमें सपिंड विवाह लागू नहीं होता है।
सपिंड विवाह को लेकर हो सकती हैं सजा There can be punishment for sapinda marriage
जब नजदीकी ब्लड रिलेशन में शादी होती है वह सपिंड विवाह को दर्शाता है। समाज में यह शादी होने पर उनको गलत नजरों से देखा जाता है। सपिंड विवाह, कानून के मुताबिक ऐसी शादी है, जहां वैवाहिक वर और वधू का एक तय सीमा के अंदर एक ही पूर्वज होता है। एक ही पिंड के बच्चों के बीच शादी इस अधिनियम की चुनौती है। अधिनियम के मुताबिक मां की तरफ से तीन पीढ़ियों और पिता के तरफ से पांच पीढ़ियों तक विवाह पर रोक है। ऐसी शादी करने पर सजा और जुर्माने की बात भी की गई है। जिसमें 1 महीने की सजा या 1000 रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।
सपिंड विवाह को लेकर हो कानून में बदलाव There should be a change in the law regarding sapinda marriage
सपिंड विवाह को लेकर अभी कोई ठोस नियम नहीं हैं। आनुवांशिक विकारों की उत्पत्ति एक बड़ी चिंता का विषय है। ऐसे में कानून के जानकार, समाजशास्त्रियों और आनुवांशिक विशेषज्ञों को ऐसे विवाह सही है या गलत इस पर विचार करने की आवश्यकता है। वाद-विवादों में ऐसे मुद्दों को शामिल करने की जरूरत है।