पहले एनटीटी कोर्स किया, फिर 2009 में कोर्स की मान्यता रद्द, आंदोलन हुआ तो कोर्स कर चुके विद्यार्थियों के लिए भर्ती का रास्ता निकाला।
एक बार 500 पदों के लिए भर्ती हुई। दुबारा भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया, परीक्षा तिथि तय कर दी गई लेकिन परीक्षा से ठीक दो दिन पहले 17 जनवरी 2014 को आदेश जारी कर स्थगित कर दी गई।
इसके बाद अभ्यर्थियों ने कई बार धरने प्रदर्शन किए, आंदोलन किए, मुख्यमंत्री के हर संभागीय दौरे में पहुंचकर परीक्षा पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित की जा रही पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक भर्ती परीक्षा रद्द होने से 5 हजार से अधिक अभ्यर्थी अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हैं लेकिन उन्हें आज तक संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है।
मंत्रिमंडलीय उपसमिति के पास है मामला
अभ्यर्थियों ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया को लेकर बड़ी उम्मीदें थी लेकिन अब असमंजस के कारण समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें।
राजस्थान पूर्व प्राथमिक शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राजेश मीना ने बताया कि बिना किसी वजह से भर्ती में राजनीति की जा रही है जबकि राजस्थान महिला एवं बाल विकास सेवा नियम 1998 एवं संशोधित अधिनियम 2011 में इस भर्ती की व्यवस्था की गई थी।
इसमें विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों पर 3 से 6 वर्ष के बच्चों को शालापूर्व शिक्षा देने के लिए प्राथमिक शिक्षा अध्यापक के पद जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में सृजित किए गए थे।
500 पदों की भर्ती में 348 को नियुक्ति दे दी गई थी। इसके बाद 27 अगस्त 2014 को 1148 पदों के लिए फिर से भर्ती निकाली गई थी।
विभाग के अधिकारी और मंत्री तर्क दे रहे हैं कि मामला मंत्रिमंडलीय उपसमिति के पास है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि उपसमिति की कई बैठकों के बाद भी फैसला नहीं हो सका।
इनका कहना है: मेरे कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व का मामला है। यह मंत्रिमंडलीय उपसमिति के समक्ष रखा गया है। अब उच्च स्तर पर जो तय होगा उसके अनुरूप प्रक्रिया अपनाई जाएगी। अनिता भदेल, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री
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