13 दिसंबर, 2021 को रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि तीनों सेनाओं में 1,22,555 पद खाली पड़े हैं, जिसमें से लगभग 10,000 पद सैन्य अधिकारियों के हैं।
कांग्रेस सरकार ने सन 2004 से 2012 के बीच तीन बार भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन बढ़ाई, जिससे उन्हें ₹7,000 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक फायदा हुआ।
17.02.14 को कांग्रेस सरकार ने आदेश जारी कर 01.04.14 से OROP को मंज़ूर किया। इसमें तय किया कि एक समान समय तक सेवा करने के बाद एक ही रैंक से रिटायर होने वाले सभी सैनिकों को एक समान पेंशन दी जाए, फिर चाहे उनकी रिटायरमेंट की तारीख अलग-अलग क्यों न हो, और भविष्य में पेंशनवृद्धि का लाभ भी पुराने पेंशनधारकों को मिले।
कांग्रेस सरकार का 17.02.14 का OROP का आदेश नकारते हुए मोदी सरकार ने 07.11.15 को नया आदेश निकाल सेना के 30-40 प्रतिशत सैनिकों से OROPपूरी तरह से छीन लिया। आदेश में कहा कि इन तीनों सेनाओं में 01.07.14 के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सैन्य कर्मियों को ‘वन रैंक, वन पेंशन’ नहीं मिलेगा।
सेना के अधिकतर जवान 17-18 साल की सेवा के बाद 40 साल की आयु तक रिटायर हो जाते हैं। OROP का लाभ उनको नहीं मिलेगा। क्या यह सच नहीं कि सेनाओं के 85 प्रतिशत कर्मी 38 साल की उम्र तक रिटायर हो जाते हैं और 10 प्रतिशत 46 वर्ष की आयु तक (Para 9 (iii), कोशियारी कमिटी रिपोर्ट)।
मोदी सरकार ने 30 लाख सैनिकों की पेंशन को हर साल रिवाईज़ करने की मांग को भी नकारकर इस समय अवधि को 5 साल कर दिया। OROP को ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की बजाय ‘वन रैंक, पाँच पेंशन’ बना दिया।
3. पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य योजना (ECHS) सुविधाओं पर आघात
मौजूदा साल 2021-22 में पिछले साल के मुकाबले पूर्व सैनिकों का ECHS बजट ₹1990 करोड़ काट लिया।
ECHS बजट में कटौती का नतीजा यह है कि ‘ECHS के एम्पैनल्ड अस्पतालों में’ एरियर्स का भुगतान नहीं हो रहा, और नतीजतन रेफ़रल के बावज़ूद पूर्व सैनिकों और अधिकारियों का इलाज नहीं हो रहा।
इसे सिलसिकेवार इस तरह देखा जा सकता है –
विषय
-रिवाईज़्ड एस्टिमेट 2019-20 (करोड़ में)
-रिवाईज़्ड एस्टिमेट 2 020-21 (करोड़ में)
-बजट एस्टिमेट 2021-22 (करोड़ में)
ECHS में पैसा मांगा
6,781 रुपये
6,054 रुपये
5,643 रुपये
बजट अलॉट हुआ
4,872 रुपये
5,352 रुपये
3,332 रुपये
4. CSD कैंटीन में सामान खरीद पर लगाई पाबंदियां व जड़ा जीएसटी
मोदी सरकार ने सेना के CSD कैंटीन से वस्तुओं की खरीद पर अधिकतम सीमा ₹10,000 प्रतिमाह निर्धारित कर दी है। इतना ही नहीं, CSD कैंटीन के माध्यम से अब 10 साल की सेवा के बाद ही पहली कार खरीद पाएंगे। रिटायर होने तक CSD कैंटीन से कोई कार नहीं खरीद सकते। रिटायरमेंट के बाद भी पूरी जिंदगी में CSD कैंटीन से केवल एक कार खरीद सकते हैं, और वो भी 1800सीसी से कम इंजन क्षमता वाली।
2017 में मोदी सरकार ने CSD कैंटीन में बिकने वाले सामान की आधी कीमत पर जीएसटी देने का प्रावधान भी जड़ दिया है। जबकि जीएसटी लागू होने से पहले पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे राज्यों में CSD कैंटीन पर वैट पूरी तरह से माफ था।
5. मोदी सरकार ने सैनिकों की ‘डिसएबिलिटी पेंशन’ पर टैक्स लगाया
अगर कोई सैनिक सेवा में रहते घायल होने पर समय से पहले रिटायरमेंट लेता है, तो वह डिसएबिलिटी पेंशन का हक़दार होता है। मोदी सरकार ने 24 जून, 2019 से सैनिकों की इस पेंशन पर भी बेशर्मी से टैक्स लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी, मगर बेशर्मी से मोदी सरकार आज भी यह केस सुप्रीम कोर्ट में सैनिकों के खिलाफ़ लड़ रही है।
सातवें वेतन आयोग में डिफ़ेंस पे मैट्रिक्स में केवल 24 पे लेवल निर्धारित किए गए, जबकि सिविलियन सेवाओं में पे मैट्रिक्स में 40 लेवल हैं। नतीजा यह है कि सैनिकों व अधिकारियों की पेंशन सिविल एम्प्लॉईज़ से लगभग 20,000 रु. कम निर्धारित होती है।
भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव को 60,000 रुपये डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है, पर सेना के लेफ़्टिनेंट जनरल को 27,000 रुपये डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है। बराबरी की मांग के बावजू़द इसे दरकिनार कर दिया गया।
दुनिया की सबसे ऊंची सैन्य पोस्टिंग ‘सियाचिन ग्लेशियर’ पर सैनिकों को 31,500 रुपये मासिक ‘रिस्क अलाउंस’ मिलता है। इसके विपरीत, ऑल इंडिया सर्विसेस के सिविलियन एम्प्लॉईज़ को सामान्य परिस्थितियों से दूर नियुक्ति पर तनख़्वाह का 30 प्रतिशत हिस्सा ‘हार्डशिप अलाउंस’ मिलता है। उदाहरण के तौर पर, सैनिकों को सियाचिन ग्लेशियर पर 31,500 रुपये मासिक ‘रिस्क व हार्डशिप अलाउंस’ परंतु IAS अधिकारी को गुवाहाटी में नियुक्ति पर 70,000 मासिक ‘हार्डशिप अलाउंस’।
लेह-लद्दाख में नियुक्त फ़ौज के ब्रिगेडियर को वहां नियुक्ति पर मासिक 17,000 रुपये अतिरिक्त अलाउंस मिलेगा, पर सिविलियन एम्प्लॉईज़ को लेह-लद्दाख में नियुक्ति पर 50,000 रुपये अतिरिक्त अलाउंस मिलेगा। भाजपा द्वारा फ़ौज की अनदेखी की यह इंतहा है।
7- ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ सैन्य अधिकारियों को मिलिट्री अस्पताल में इलाज से वंचित किया
जो सैनिक ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के माध्यम से देश की सेवा में योगदान देते हैं, पहले उन्हें आजीवन मिलिट्री अस्पताल में मुफ़्त इलाज की सुविधा थी। मगर अब मोदी सरकार ने इस पर रोक लगा दी। और यह शर्त लगा दी कि वे बाहर से इलाज कराएं और रिइम्बर्समेंट बेसिस पर आधा ही भुगतान पाएं। अधिकतर समय यह भुगतान भी लालफ़ीताशाही की बलि चढ़ जाता है।
8. तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों को ‘‘नॉन-फंक्शनल अपग्रेड’’ (NFU) से वंचित किया
‘नॉन-फंक्शनल अपग्रेड की सुविधा है, यानि अगर एक बैच का आईएएस या आईपीएस या अन्य अधिकारी तरक्की पाकर अगला पे स्केल ले लेता है, तो उस बैच के सभी अधिकारियों को वही पे स्केल मिलेगा। परंतु तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों को बार-बार मांग उठाने के बावजूद इससे वंचित कर दिया गया है, जिससे सेनाओं में भारी निराशा है।
मोदी सरकार ने ऐसा ही दुर्व्यवहार अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों से भी किया था, मगर वो अधिकारी सुप्रीम कोर्ट गए और वहां से उन्हें राहत मिल गई। मगर मोदी सरकार की नालायकी और फ़ौज विरोधी चेहरा देखिए, वह अब भी तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों को नॉन-फंक्शनल अपग्रेड नहीं दे रही।
कांग्रेस सरकारों में पूर्व सैनिकों, उनकी विधवाओं, सेवा में चोटिल हो सेवानिवृत्त हुए सैनिकों को प्राथमिकता से पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, कोयला लदान, ट्रांसपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट, सरकारी सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट्स में प्राथमिकता दी जाती थी। मोदी सरकार के कार्यकाल में ये सुविधाएं लगभग खत्म हो गई हैं। निजीकरण के कारण पेट्रोलियम कंपनियां ऐसा आरक्षण देती ही नहीं तथा सरकारी कंपनियों ने भी धीरे-धीरे यह सुविधा बंद कर दी है। कोल इंडिया लिमिटेड की सभी खदानों में कोयला लदान व ट्रांसपोर्टेशन का काम पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित था, पर अब इसे भी खत्म कर दिया गया है। यही हाल टोल प्लाज़ा व ज्यादातर सरकारी कॉन्ट्रैक्ट का है।
10 – अर्द्धसैनिक बलों के साथ सौतेला व्यवहार
देश-सेवा में कुर्बान होने वाले अर्द्धसैनिक बलों, CRPF, BSF, ITBP, CISF, SSB, Coast Guard आदि के जवानों को मोदी सरकार ‘शहीद’ का दर्जा नहीं देती। न तो परिवारों को मुआवज़ा मिलता और न सरकारी नौकरी।
कांग्रेस सरकार ने 23 नवंबर, 2012 को सभी अर्द्धसैनिक बलों को “Ex Central Armed Police Force Personnel” चिन्हित करते हुए केंद्रीय व प्रांतीय सरकारों को आदेश जारी किया कि CRPF, BSF, ITBP, SSB, CISF, Coast Guard के सभी रिटायर्ड अधिकारियों को तीनों सेनाओं के समान एक्स सर्विसमैन की सभी सुविधाएं दी जाएं। परंतु केंद्र की मोदी सरकार व प्रांतीय भाजपा सरकारों ने इसकी अनदेखी की।
1800 से अधिक सेंट्रल पुलिस कैंटीन 10 लाख अर्द्धसैनिक बलों के सेवारत कर्मियों व 50 लाख के करीब उनके परिवारों को सुविधा देती है। मोदी सरकार ने सेंट्रल पुलिस कैंटीन पर पूरा जीएसटी लगा दिया तथा तीनों सेनाओं की तरह उन्हें आधे जीएसटी की छूट की भी सुविधा नहीं दी । पत्रकारवार्ता के अंत मे कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि अतः सवाल यह करते हैं – जो सेना को देते हैं धोखा, क्यों उन्हें कोई देगा मौका ?