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श्रीकृष्ण मंदिर पर केशव प्रसाद मौर्य के बयान पर मायावती का हमला, भाजपा का आखिरी हथकण्डा

– यूपी विधानसभा चुनाव 2022 अगले साल होंगे। सभी दल अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। भाजपा भी चुनाव में भगवा झंडा फहराने के लिए नई रणनीति बना रही है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के मथुरा पर जारी बयान के बाद सियासी गलियारों में भाजपा की आगामी योजना के कयास शुरू हो गए हैं। विपक्षी दलों ने बयानबाजियां शुरू कर दी है।

लखनऊDec 02, 2021 / 01:23 pm

Sanjay Kumar Srivastava

श्रीकृष्ण मंदिर पर केशव प्रसाद मौर्य के बयान पर मायावती का हमला, भाजपा का आखिरी हथकण्डा

लखनऊ. मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर पर यूपी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद यूपी की राजनीति गरमा गई। केशव प्रसाद मौर्य इस बयान पर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भाजपा को आईन दिखाते हुए कहाकि, यह बयान भाजपा के हार की आम धारणा को पुख्ता करता है। इस पर गुरुवार को पलटवार करते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कहाकि, हम मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का इंतजार कर रहे हैं। ये भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा नहीं है।
यूपी में चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं। सभी दल मौका लगते ही दूसरे पर वार कर देते है। यूपी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को ट्विट करते हुए लिखा कि, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के विधानसभा आमचुनाव के नजदीक दिया गया बयान कि, अयोध्या व काशी में मन्दिर निर्माण जारी है अब मथुरा की तैयारी है, यह भाजपा के हार की आम धारणा को पुख्ता करता है। इनके इस आखिरी हथकण्डे से अर्थात् हिन्दू-मुस्लिम राजनीति से भी जनता सावधान रहे।
यूपी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि, अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है। गुरुवार को केशव प्रसाद मौर्य मीडिया से कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव के एजेंडे में मंदिर का विषय कोई मुद्दा नहीं रहा है। मंदिर आस्था का मुद्दा है चुनाव का नहीं। जो लोग राम मंदिर बनने का विरोध करते थे अब वही लोग राम मंदिर में माथा टेक रहे हैं। अयोध्या के बाद आने वाले दिनों में यही दृश्य काशी व मथुरा में दिखेगा।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला :- Uttar Pradesh Assembly Election 2022 विहिप सहित तमाम हिंदू संगठन वर्षों से मथुरा में श्रीकृष्ण विराजमान (श्रीकृष्ण जन्मभूमि) के पास स्थित शाही ईदगाह को हटाने की मांग कर रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान का दावा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर ईदगाह बनाई गई है। करीब 190 साल पुराना विवाद अभी अदालत में विचाराधीन है।
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