यूपी की राजनीति में इस वक्त अलग-अलग पार्टी में कई बड़े ठाकुर चेहरे हैं। इनमें योगी आदित्यनाथ, पंकज सिंह, सुरेश राणा, संगीत सोम, वीरेंद्र सिंह मस्त, नीरज शेखर, अरविंद सिंह गोप, अखिलेश प्रताप सिंह, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया आदि शामिल हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो भाजपा में ही सबसे अधिक ठाकुर नेता हैं। माना जा रहा है कि 2017 की तरह इस बार भी बीजेपी को अधिकांश ठाकुरों का समर्थन मिलेगा। वर्तमान में भाजपा के 304 विधायकों में से 50 से अधिक ठाकुर जाति के हैं।
दलितों-पिछड़ों की सक्रियता कम हुआ प्रभाव 60 के दशक में चौधरी चरण सिंह के उदय के बाद लैंड रिफॉर्म और जातीय चेतना से जुड़े आंदोलन हुए। तब ओबीसी जातियां जैसे कि यादव, जाट, कुर्मी और गुर्जरों का उभार हुआ। वहीं 1990 के दशक में समाजवादी पार्टी (सपा) और बसपा का उदय हुआ। एक ने पिछड़ों को जोड़ा तो दूसरे ने दलितों को। इस दौर में भले ही निचली जातियों का उत्थान हुआ और ठाकुरों का जलवा प्रभाव थोड़ा कम हुआ।
फैक्ट फाइल आबादी- करीब 7 फीसदी प्रभावशाली विस सीटें: गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हमीरपुर, प्रतापगढ़, फतेहपुर, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर
प्रमुख नेता भाजपा- योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह, कीर्तिवर्धन सिंह, ब्रृजभूषण शरण सिंह, वीके सिंह
सपा- अरविंद सिंह गोप, मदन चौहान जनसत्ता दल- रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया आम आदमी पार्टी- संजय सिंह
यूपी के पांच ठाकुर मुख्यमंत्री त्रिभुवन नारायण सिंह (18 अक्टूबर 1970 से 3 अप्रैल 1971)
विश्वनाथ प्रताप सिंह (9 जून 1980 18 जुलाई 1982) वीर बहादुर सिंह (24 सितंबर 1985 से 24 जून 1988) राजनाथ सिंह (28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002) योगी आदित्यनाथ (19 मार्च 2017 से अभी तक)
यूपी से प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे दो ठाकुर नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह (2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990) चंद्रशेखर सिंह (10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991)