सहारनपुर शहर के मुख्य बाजार नेहरू मार्केट के व्यापारी राजकुमार बताते हैं कि बिजली व्यवस्था सुधर गई है। अब व्यापारी देर रात तक दुकानें बिना भय के खोलते हैं। लेकिन, नगर निगम की लापरवाही से शहर में टूटी सड़कों, गंदगी आदि समस्याएं नहीं सुलझ रही हैं। जिला प्रशासन और नगर निगम कोई भी ऐसी छोटी छोटी समस्याओं को सुनने या इनका समाधान करने के लिए तैयार नहीं है।
घंटाघर चौराहे पर मिले चेतन ने कहा कि महंगाई बढऩे से परिवारों की बचत पर बुरा असर पड़ा है। हां, इतना जरूर है कि शहर की कानून-व्यवस्था सुधरने से संतोष है। सहारनपुर में रेलवे स्टेशन के पास चाय बेचने वाले नाजिम लॉकडाउन के बाद से रोजी-रोटी पर पड़े असर से काफी परेशान दिखे। नाजिम ने बर्तन दिखाते हुए कहा कि पहले 5 किलो दूध की चाय निकल जाती थी, अब दो किलो दूध की ही खपत हो रही है। कमाई कम हो गई और 80 रुपए किलो तो टमाटर मिल रहा। गरीब आदमी क्या करे?
अग्रसेन पार्क पर केले बेच रहे शोभनाथ गड़रिया बहुत मुखर होकर कहते हैं कि सहारनपुर में सिर्फ हिंदू-मुस्लिम चल रहा है।
सहारनपुर घंटाघर चौराहे पर मिले रामवीर ने कहा कि सहारनपुर स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया है। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कई प्रमुख सड़कें खोद दी गई हैं। काम की रफ्तार सुस्त होने से लोगों को आवागमन में दिक्कत हो रही है। सुरेंद्र ने बताया कि परिवहन निगम के दोनों बस अड्डे शहर के अंदर हैं। बसों के शहर के अंदर से गुजरने के कारण आए दिन जाम की समस्या लोग झेलते हैं। शहर से बाहर दिल्ली रोड पर बस अड्डे खुलवाने का वादा आज तक वादा ही रहा।
मुनव्वर हसन ने बताया कि शहर में पार्किंग का अभाव है। व्यापारियों और खरीदारों को दुकान के सामने गाडिय़ां लगाने की मजबूरी है, जिससे सड़कों पर चलना मुश्किल होता है। प्रदीप शर्मा ने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना में सहारनपुर के चुने जाने से शहर की सूरत संवरने की उम्मीद बढ़ी है। अगर, शहर के चारों ओर वादे के मुताबिक मिनी रिंग रोड बन जाए तो वाहनों का सिटी से होकर गुजरना बंद हो जाए। कचरे के निस्तारण के लिए एक डंपिंग ग्राउंड की भी जरूरत है।
1997 में मंडल घोषित सहारनपुर में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में नकुड़, देवबंद, रामपुर मनिहारन और गंगोह में भाजपा की जीत हुई थी, जबकि सहारनपुर शहर सपा, सहारनपुर देहात और बेहट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। वर्ष 1996 से 2012 तक विधानसभा चुनावों में सहारनपुर बसपा का गढ़ हुआ करता था, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा की सभी सीटों पर हार हुई थी।