दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले सप्ताह के आखिर में दो दिवसीय दौरे पर बांग्लादेश पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कई सांस्कृतिक और राजनैतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था। इसमें से एक कार्यक्रम बांग्लादेश में रहने वाले मतुआ समुदाय के लोगों से मिलना और उन्हें संबोधित करना भी शामिल था। साथ ही मतुआ समुदाय के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करना था।
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अब टीएमसी ने पीएम मोदी के मतुआ समुदाय के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की है। टीएमसी ने अपनी शिकायत में मांग की है कि पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे को लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन और आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया जाए। शिकायत में आगे कहा गया है कि पीएम मोदी 26-27 मार्च को बांग्लादेश के दौरे पर थे। इस दौरान वे बंगबंधु मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती और बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इन कार्यक्रमों में पीएम मोदी के शामिल होने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन 27 मार्च को आयोजित कार्यक्रमों (मतुआ समुदाय से मिलना और मंदिर जाना) से इस दौरे का कोई संबंध नहीं था।
ऐसे में पीएम मोदी ने 27 मार्च को जो भी किया वह लोकतांत्रिक मूल्यों और आचार संहिता का सीधा-सीधा उल्लंघन है। टीएमसी ने कहा कि आजतक किसी भी प्रधानमंत्री ने विदेशी धरती पर जाकर आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया है। टीएमसी ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि पीएम मोदी धार्मिक स्थलों पर गए थे।
BJP सांसद के बांग्लादेश जाने पर भी TMC ने जताई आपत्ती
बता दें कि टीएमसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक भाजपा सांसद के बांग्लादेश दौरे पर जाने को लेकर भी चुनाव आयोग से शिकायत की है। टीएमसी ने कहा है कि भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर पीएम मोदी के साथ बांग्लादेश दौरे पर गए थे।
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टीएमसी का आरोप है कि चूंकि शांतनु ठाकुर के पास भारत सरकार में कोई आधिकारिक पद नहीं है, ऐसे में पीएम मोदी के आधिकारिक विदेश दौरे पर वह साथ में कैसे और क्यों गए थे? यदि वह एक साधारण सांसद के तौर पर पीएम के साथ गए थे तो फिर TMC या अन्य पार्टियों के सांसदों को क्यों नहीं साथ ले गए। टीएमसी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अपनी ऑफिशियल पॉजिशन का गलत इस्तेमाल किया है।