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UP Assembly Elections 2022: यूपी की वो लोकसभा सीट जिसे बीएसपी 25 साल से नहीं जीत पाई थी, इस बाहुबली ने दी थी लेकर कर

UP Assembly Elections 2022:यूपी का वो बाहुबली जिसने बसपा को जीत कर दी थी जौनपुर की वो लोकसभा सीट जिसे मायावती 35 साल तक नहीं कर पाई थी हासिल। जानिए पूरी कहानी.

Sep 24, 2021 / 12:46 pm

Arsh Verma

dhananjay singh

धनंजय सिंह

(UP Assembly Elections 2022), लखनऊ। सन् 1984 में दिवंगत कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की थी। उनके निधन के बाद मायावती ही पार्टी की मुखिया हैं। मायावती के नेतृत्व में बीएसपी ने कई बार यूपी की सत्ता हासिल की है।
लेकिन पिछले 37 सालों में सिर्फ एक बार ही जौनपुर
की सीट पर अपना लोकसभा सांसद बना पाई।
बसपा की तरफ से यूपी के बाहुबली कहे जाने वाले धनंजय सिंह ने मायावती की झोली में जौनपुर की लोकसभा सीट डाली थी। हालांकि मायावती ने उन्हें सांसद बनने के करीब 1.5 साल बाद ही बसपा से निकाल दिया था।

कौन है धनंजय सिंह?

धनंजय सिंह का नाम यूपी के बाहुबली नेताओं में प्रमुखता से गिना जाता है। उनपर हत्या और हत्या के प्रयास जैसे कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। राजनीति में आने से पहले से ही वह यूपी पुलिस के लिए 50 हजार के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी बन चुके थे।
पहली बार 2002 में धनंजय सिंह ने जौनपुर की रारी विधानसभा सीट से चुनाव जीता। यह चुनाव वह निर्दलीय ही जीते थे। धनंजय सिंह को वोट भी अच्छी खासी तादाद में मिले थे।


बीजेपी और जदयू ने संयुक्त रूप से धनंजय को दिया था सहारा
धनंजय सिंह के प्रदर्शन को देखते हुए 2007 में बीजेपी और जदयू ने संयुक्त रूप से उन्हें अपना विधानसभा प्रत्याशी बनाया। धनंजय ने उन्हें निराश नहीं किया और एक बार फिर से रारी विधानसभा से विजयी हुए।
2007 में यूपी में बीएसपी की सरकार बनी और मायावती सत्ता में आई। जिसके बाद धनंजय सिंह उनके करीब आए और सालभर के अंदर ही बीएसपी जॉइन कर ली।

जिस जौनपुर से तब तक कोई बीएसपी का सांसद प्रत्याशी नहीं जीता था उसी सीट से 2009 में मायावती ने धनंजय सिंह को अपना कैंडिडेट बनाया।धनंजय सिंह ने बीएसपी के 25 साल की सूखा खत्म करते हुए जौनपुर लोकसभा सीट जीत कर मायावती की झोली में डाल दी। इस तरह से जौनपुर का यह बाहुबली पहली बार संसद तक पहुंचा
Dhananjay Singh
पार्टी खिलाफत में दिखाया बाहर का रास्ता

2011 में मायावती ने धनंजय सिंह को पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए उन्हें बीएसपी से निकाल दिया गया। और ये चोट धनंजय सिंह को ऐसी लगी की वह कभी राजनीतिक तौर पर खड़े नहीं हो पाए।
धनंजय सिंह की पत्नी भी लड़ी थी चुनाव

उन्होंने 2012 में अपनी पत्नी को यूपी विधानसभा चुनाव लड़ाया, वो हार गईँ। धनंजय खुद 2014 का लोकसभा और 2017 का विधानसभा चुनाव लड़े, वो भी हार गए और 2019 में वह चुनाव ही नहीं लड़े।

धनंजय ने बताई पार्टी से निकाले जाने की वजह

बीएसपी से निकाले जाने की पीछे की वजह धनंजय बताते हैं कि मायावती ने मुझे इसलिए पार्टी से निकाला क्योंकि वो अधिनायक की तरह काम करती हैं और हमारे साथ वो चल नहीं सकता था।

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