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कम पूंजी में होगी मोटी कमाई! जानिए कैसे शुरू करें Electric Vehicle के चार्जिंग स्टेशन का बिजनेस

Electric Vehicles की मांग भविष्य में और भी तेजी से बढ़ने वाली है। ऐसे में Charging Station का बिजनेस आपके लिए कमाई का एक बेहतर मौका साबित हो सकता है। इस लेख में हम इस व्यवसाय से जुड़े हर सवाल का जवाब देंगे।

नई दिल्लीJun 11, 2022 / 01:27 pm

Ashwin Tiwary

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Electric Vehicle Charging Station

देश के इलेक्ट्र्रिक वाहनों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। चारपहिया से लेकर दोपहिया तक हर सेग्मेंट में वाहनों की बिक्री में इजाफा देखने को मिल रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों के सड़क पर आने के साथ ही इसके चार्जिंग स्टेशन का बिजनेस भी तेजी से बढ़ रहा है। इलेक्ट्रिक व्हीकल के चार्जिंग स्टेशनों (Charging Stations) का आगमन भारतीय व्यापार जगत में तेजी से गेम-चेंजर बनता जा रहा है। इसे ज्यादातर व्यापारी एक पेट्रोल पंप खोलने जैसा मान रहे हैं। जिस तरह से इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles) सड़कों पर उतर रहे हैं उस लिहाज से आने वाले समय में ये बिजनेस और भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।


इस बिजनेस में उतरने के बाद आप हर महीने मोटी कमाई भी कर सकते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन के बिजनेस से जुड़ी हर बात की जानकारी देंगे। मसलन, आपको ये बिजनसे शुरू करने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होगी, या फिर कितनी जगह, मैनपावर और आप इसके लाइसेंस के लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं। ET में छपी एक रिपोर्ट के आधार पर इस बिजनसे से जुड़े हर सवाल का जवाब आपको इस लेख में मिलेगा।

EV चार्जिंग स्टेशनों की मांग की स्थिति:

दरअसल, इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी प्रयासरत है, ताकि पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता को कम किया जा सके। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों से सबसे बड़ा लाभ ये है कि ये प्रदूषण के स्तर को कम करने में अहम भूमिका भी निभाते हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में सभी खंडों (दोपहिया, तिपहिया, चारपहिया) में कुल रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहनों का वॉल्यूम 3.13 लाख यूनिट तक पहुंच गया। ऐसा माना जा रहा है कि 2022 में सिर्फ दो महीनों में एक लाख को पार कर जाएगी। NITI Aayog की रिपोर्ट के अनुसार, देश 2030 तक EV उद्योग में 30% बाजार हिस्सेदारी का लक्ष्य रखता है। ये सभी आंकड़े बताते हैं कि भारत लगातार इलेक्ट्रिक व्हीकल क्रांति की ओर बढ़ रहा है।


इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां अपने वाहनों के साथ एक चार्जर भी देती है, जिन्हें ग्राहक के ऑफिस, घर या फिर बताए गए किसी भी एक जगह पर इंस्टॉल किया जाता है। लेकिन अभी भारत में इलेक्ट्रिक कारों की औसतन ड्राइविंग रेंज 200 से 350 किलोमीटर सिंगल चार्ज है। ऐसे में वाहन मालिकों को इस बात की भी चिंता रहती है कि लांग रूट पर ड्राइव करने के दौरान उन्हें चार्जिंग स्टेशन या प्वाइंट्स मिलेंगे या नहीं। ऐसे में इस बिजनेस की संभावना और भी बढ़ जाती है। इस बिजनेस में कुछ बड़ी प्राइवेट कंपनियां भी उतर चुकी हैं, जो कि देश के तकरीबन हर बड़े शहर में अपने चार्जिंग स्टेशन शुरू करने की तैयारी कर रही हैं।

चार्जिंग स्टेशन के सेटअप में कितना होगा खर्च:

किसी भी बिजनेस (Business) को शुरू करने से पहले उसकी लागत पर विचार करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, किसी भी बिजनेस में व्यय के दो घटक हैं जो किसी भी व्यवसाय की वित्तीय व्यवहार्यता तय करते हैं, अर्थात् – पूंजी (कैपिटल) और परिचालन (ऑपरेशन) व्यय। किसी भी व्यवसाय को चलाने का परिचालन खर्च भी उसके भरण-पोषण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। चार्जिंग स्टेशनों के मामले में व्यावहारिक रूप से कोई निश्चित परिचालन खर्च नहीं है।

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भारत सरकार ने निष्कर्ष निकाला है कि जब तक यह ‘बिजली मंत्रालय’ मानकों को पूरा करता है, तब तक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। नतीजतन, इलेक्ट्रिक कार बैटरी चार्ज करने के उद्देश्य से बिजली संचारित करने, वितरित करने या विनिमय करने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं है। नतीजतन, ईवी चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण का खर्च चार्जर, बिजली, सॉफ्टवेयर, बुनियादी ढांचे, विज्ञापन, कर्मचारियों और रखरखाव तक सीमित है।

विशेषज्ञों के अनुसार, ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने की सामान्य लागत 1 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के बीच होती है, जो कि स्थापित चार्जर के प्रकार पर निर्भर करता है। मानक खर्चों में एक नए विद्युत कनेक्शन, सिविल कार्य, तकनीशियनों और श्रमिकों, रखरखाव, विज्ञापन, विपणन, ईवीएसई (EVSE) मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और एकीकरण, और साइट अनुबंध की लागत शामिल है।


कितने प्रकार के होते हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जर:

यहां ये जानना जरूरी है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जर कितने प्रकार के होते हैं। सामान्य तौर पर दो प्रकार के EV चार्जर होते हैं, एक होता है एसी (AC) चार्जर, जो कि अपेक्षाकृत धीमे चार्जर होते हैं और दूसरा है डीसी (DC) चार्जर, जो कि फास्ट चार्जिंग क्षमताओं से लैस होते हैं। इसके अलावा इन चार्जर्स को उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रोटोकॉल जैसे CCS, CHAdeMO, GB/T द्वारा वर्गीकृत किया जाता है। जहां CCS यूरोपीय बैकग्राउंड से आता है, CHAdeMO जापान से आता है जबकि GB/T चीन में प्रयोग की जाने वाली तकनीक है। चार्जिंग सिस्टम में इस तकनीक का उपयोग बाजार की मांग पर निर्भर करता है। भारत में ज्यादातर इलेक्ट्रिक वाहन CCS प्रोटोकॉल पर निर्भर हैं जो कि यूरोपिय तकनीक है।

फास्ट चार्जर:

ये किसी भी EV के लिए फास्ट चार्जर हैं और आमतौर पर पूरे देश में लगाए जाते हैं। EV को जल्दी से रिचार्ज करने के लिए डिवाइस हाई-पावर डायरेक्ट करंट (DC) से पावर देता है। फास्ट चार्जर का उपयोग उन वाहनों के साथ किया जा सकता है जिनमें उच्च बैटरी क्षमता होती है जो तेजी से चार्ज करने में सक्षम होते हैं। इसलिए दोपहिया और तीपहियाय वाहनों में फास्ट चार्जिंग का प्रावधान नहीं है। इस मशीन की क्षमता आम तौर पर 15 किलोवाट से 150 किलोवाट तक होती है। हालांकि, फास्ट चार्जिंग इलेक्ट्रिक वाहन की क्षमता पर भी निर्भर करता है कि वह एक निश्चित समय में चार्ज हो सके। इन्हें उन जगहों पर स्थापित किया जा सकता है जहां हाई-पावर उपलब्ध हो।

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स्लो चार्जर:

ये AC चार्जर होते हैं, और ये इलेक्ट्रिक वाहनों को धीमी गति से चार्ज करते हैं, यानी कि इन चार्जर से वाहनों को चार्ज होने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। इन स्लो चार्जर्स को कम बिजली की आवश्यकता होती है और इसलिए इन्हें किसी भी घरेलू परिसर में आसानी से स्थापित किया जा सकता है। हालांकि, इन्हें एक वाहन को पूरी तरह से चार्ज करने में औसतन 6-14 घंटे का समय लगता है। ये सस्ते और सहज हैं, ज्यादातर दोपहिया और तिपहिया वाहन इस प्रकार के चार्जर का उपयोग करते हैं

चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए आवश्यकताएँ:

चार्जिंग स्टेशन बिजनेस में लगने वाली कम पूंजी और इसका ऑपरेशन आसान होने के नाते ये लोगों को काफी आकर्षित करता है। इसमें बहुत ज्यादा मैनपावर की जरूरत भी नहीं होती है और इसका मैनेजमेंट भी काफी आसान है। देश की कई राज्य सरकारों ने व्यवसायिक और आवासीय परिसरों में चार्जिंग स्टेशनों की अनिवार्य स्थापना की घोषणा की है, साथ ही साथ परिसर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आरक्षित संख्या की भी घोषणा की है। इस तरह के परिसरों, EV इको सिस्टम को अपनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अपने शहर में ईवी चार्जिंग स्टेशन शुरू करने से पहले आपको कुछ खास बातों पर ध्यान देना जरूरी है।


चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का एरिया:

एक चार्जिंग स्टेशन को स्थापित करने के लिए क्षेत्र की आवश्यकता साइट की व्यवहार्यता, चार्जिंग पाइल्स की संख्या, चार्ज किए जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रकार, साइट पर अन्य गतिविधियों पर निर्भर करती है। इस तरह के चार्जिंग उपकरण के लिए 10 वर्गफुट से अधिक जगह की आवश्यकता होती है, हालांकि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह वाहन की पार्किंग और संचलन के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 100 वर्ग फुट से कम न हो।

कर्मचारियों की संख्या:

अधिकांश अच्छे चार्जिंग इंफ्रा प्रदान करने वाली कंपनियां संपूर्ण समाधान पर विश्वास करती है और वो अपने स्टेशन पर (उपकरण + सॉफ्टवेयर + मोबाइल ऐप) जैसी सुविधाएं मुहैया कराती हैं। इसलिए चार्जिंग स्टेशनों पर बहुत ज्यादा कर्मचारियों या मैनपावर की जरूरत नहीं है। इसके अलावा चार्जिंग के लिए पेमेंट से लेकर बिल बनाने तक सब कुछ ऑनलाइन किया जाता है। इस लिहाज से आप कर्मचारियों की सिमित संख्या में भी चार्जिंग स्टेशन के व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं।

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कैसे मिलेगा लाइसेंस:

लाइसेंस के मामले में इस व्यवसाय की सबसे अच्छी बात है कि इसके लिए आपको लाइसेंस के लिए कोई आवश्यकता नहीं है। विद्युत मंत्रालय के अनुसार, भारत में चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। यानी कि आप सभी जरूरी नियमों का पालन करते हुए अपने इलाके में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए आपको स्थानीय विभागों से जरूरी अनुमति लेने की जरूरत पड़ सकती है।

इन बातों का जरूर रखें ध्यान:

इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए एक अच्छे ईवी चार्जिंग (OEM) कंपनी के चयन की आवश्यकता होती है जो एक गुणवत्ता समाधान प्रदान कर सकता है, या फिर जिसे आसानी से संभाला जा सकता है। व्यवसाय शुरू करने के लिए चार्जर्स की क्षमता के अनुसार अनुमानित लोड के अनुसार इलेक्ट्रिसिटी की उपलब्धता के साथ ही सही जगह का चयन करना आवश्यक है। चार्जिंग इंफ्रा आपके लिए एक अच्छा स्टार्टअप बन सकता है।


चार्जिंग स्टेशन का बिजनेस वर्तमान समय में सबसे बेहतर व्यवसायों में से एक हो सकता है, जिसमें व्यावसायिक अनुभव, पूंजी, समय के मामले में न्यूनतम आवश्यकता होती है और निवेश पर तत्काल रिटर्न भी मिलता है। जहां तक भविष्य की बात है तो देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड जिस कदर बढ़ रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इस व्यवसाय में और भी बेहतर संभावनाएं बनेंगी। आप अपने चार्जिंग स्टेशन के प्रचार प्रसार के लिए स्थानीय स्तर विज्ञापन के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का भी सहारा ले सकते हैं, जो कि आज के समय में काफी मशहूर है।

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