इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना शुरू की थी। इसे अगले वित्त वर्ष से बंद कर दिया जाएगा। दरअसल मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज ने योजना के तहत सब्सिडी हासिल करने के लिए दोपहिया इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों की धोखाधड़ी के कुछ मामले पकड़े हैं। कुछ मामलों में इसने सब्सिडी रोक दी।
बढ़ाने की योजना नहीं:
फेम के दूसरे चरण का लक्ष्य अगले वित्त वर्ष के आखिरी तक हासिल हो जाएगा और अब इसे आगे बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। फेस के दूसरे चरण की योजना को पीएलआई स्कीम से रिप्लेस किया जाएगा। इसमें मैन्युफैक्चरर्स के स्तर पर फायदा दिया जाएगा। फेम के दूसरे चरण में गाड़ियों के बिक्री के स्तर पर सब्सिडी दी जाती है लेकिन पीएलआई स्कीम के तहत ऑटो कंपोनेंट्स को बनाने के स्तर पर ही फायदा दे दिया जाएगा।
40 फीसदी डिस्काउंट:
फेम योजना के तहत कंपनियां देश में ही बनी गाड़ियों की लागत पर ग्राहकों को 40% तक डिस्काउंट दे सकती हैं और यह डिस्काउंट सब्सिडी के रूप में सरकार से उन्हें मिलता है। फेम के दूसरे चरण का लक्ष्य 10 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया और 7 हजार बसों को सपोर्ट करने की है। फेम योजना के तहत इस महीने के आखिरी तक करीब 8 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया सड़कों पर उतर सकती हैं।