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इटावा

Birthday Special : मुलायम के लिए इस नेता ने छोड़ी थी अपनी सीट, पहली बार MLA बनाने को लोगों ने एक टाइम का छोड़ दिया था खाना

– 22 नवंबर को है मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन- सैफई में भव्य आयोजन करा रहे शिवपाल यादव- मुलायम के बचपन के मित्र और 47 वर्षों से सैफई गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव ने शेयर की यादें

इटावाNov 21, 2019 / 05:34 pm

Hariom Dwivedi

Mulyam Singh Yadav

सभी के सम्मिलित प्रयास का ही नतीजा था कि मुलायम सिंह यादव पहली बार इटावा जिले की जसवंतनगर सीट से विधायक चुने गये।

दिनेश शाक्य
पत्रिका एक्सक्लूसिव
इटावा. समाजवादी पार्टी के संरक्षक नेता मुलायम सिंह यादव को पहली बार विधायक बनाने के लिए उनके गांव सैफई के लोगों ने एक शाम का खाना तक छोड़ दिया था। मुलायम के जन्मदिन के मौके पर उनके बचपन के मित्र और सैफई गांव के 47 सालों से प्रधान दर्शन सिंह यादव ने बताया कि बात 1967 के विधानसभा चुनाव की है। जब नेताजी के (मुलायम सिंह यादव) चुनाव लड़ने के लिए पैसे का जुगाड़ करने में लगे हुए थे, लेकिन व्यवस्था हो नहीं पा रही थी। चुनाव प्रचार के दौरान एक दिन नेताजी के घर की छत पर पूरे गांववालों की बैठक हुई, जिसमें सभी जाति के लोगों ने भाग लिया। बैठक में गांव के ही सोनेलाल शाक्य ने सुझाव दिया कि मुलायम सिंह यादव को चुनाव लड़ाने के लिए अगर हम गांववाले एक शाम का खाना नहीं खाएं तो आठ दिनों तक मुलायम की गाड़ी चल जाएगी। सभी गांववालों ने एकजुट हो सोनेलाल के प्रस्ताव का समर्थन किया। सभी के सम्मिलित प्रयास का ही नतीजा था कि मुलायम सिंह यादव पहली बार इटावा जिले की जसवंतनगर सीट से विधायक चुने गये।
दर्शन सिंह यादव बताते हैं कि जब मुलायम सिंह को पहली बार विधानसभा का टिकट मिला था तो हम लोगों ने जनता के बीच जाकर वोट के साथ-साथ चुनाव लड़ने के लिए चंदा मांगा था। मुलायम अपने भाषणों में लोगों से एक वोट और एक नोट (एक रुपया) देने की अपील करते थे। वे कहते थे कि हम विधायक बन जाएंगे तो किसी न किसी तरह से आपका एक रुपया ब्याज सहित आपको लौटा देंगे। लोग मुलायम सिंह की बात सुनकर खूब ताली बजाते थे और दिल खोलकर चंदा देते थे। दर्शन सिंह कहते हैं कि पहले हम लोग साइकिल से चुनाव प्रचार करते थे। बाद में चंदे के पैसों से एक सेकेंड हैंड कार खरीदी, जिसमें अक्सर धक्का लगाना पड़ता था। दर्शन सिंह बताते हैं कि मुलायम सिंह को राजनीति में बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के जिस कॉलेज में पढ़ाई की, बाद में उसी कॉलेज में अध्यापक भी बने।
नत्थू सिंह लाये थे मुलायम को राजनीति में
बकौल दर्शन सिंह यादव मुलायम सिंह यादव को राजनीति में लाने का श्रेय उस समय के कद्दावर नेता नत्थू सिंह को जाता है, जिन्होंने मुलायम सिंह के लिए अपनी सीट छोड़ दी। उन्हें चुनाव लड़वाया और सबसे कम उम्र में विधायक बनवाया। उस समय बहुत सारे लोग ऐसे थे जिन्होंने मुलायम सिंह को विधानसभा का टिकट दिए जाने का विरोध किया था, लेकिन नत्थू सिंह के आगे किसी की नहीं चली। वह कहते थे कि मुलायम सिंह पढ़े-लिखे हैं, इसलिए इनको विधानसभा में जाना चाहिए। प्रधान दर्शन सिंह कहते हैं कि मुलायम सिंह की एक बड़ी खासियत है कि वे अपने लोगों को हमेशा याद रखते हैं। अपनों को कभी भूलते नहीं। भले ही आज वह देश के बहुत बड़े नेता हैं, लेकिन जब भी मुलाकात होती है तो बचपन की बातें करते हैं।
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बचपन से ही था पहलवानी का शौक
यादव बताते है कि मुलायम सिंह यादव का बचपन अभावों में बीता पर वे अपने साथियों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। कहा कि नेता जी को बचपन से ही पहलवानी का बड़ा शौक था। शाम को स्कूल से लौटने के बाद वे अखाड़े में जाकर कुश्ती लड़ते थे। जहां पर वे अखाड़े में बड़े से बड़े पहलवान को चित कर देते थे। वह भले ही छोटे कद के हों, लेकिन उनमें गजब की फुर्ती थी। अक्सर वह पेड़ों पर चढ़ जाते थे और आम, अमरुद, जामुन बगैरह तोड़कर अपने साथियों को खिलाते थे। कई बार लोग उनकी शिकायत लेकर उनके घर पहुंच जाते थे। तब उन्हें पिताजी की डांट भी पड़ती थी। यादव कहते हैं कि हमारी मित्र मंडली में दो लोग और भी थे। हाकिम सिंह और बाबूराम सेठ पर अफसोस दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं।

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