पूर्व सांसद कांशीराम के चुनाव इंचार्ज व प्रतिनिधि रहे खादिम अब्बास ने कहा कि मायावती ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जो अवैध तरीके से अकूत सम्पत्ति एकत्रित की है, उसको बचाने के लिये संघ व भाजपा की गोद में खेलना मायावती की मजबूरी है। उन्हें अब बहुजन समाज की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रह गया है। मायावती दलित की बेटी न रह कर दौलत की बेटी बन गई हैं। वह सिर्फ अपनी चमड़ी और दमड़ी को बचाने में लगी हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर व कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने के लिये खादिम के साथ इटावा के अन्य मिशनरी साथियों ने देश भर में 25-25 हजार किलोमीटर तक साइकिल यात्रा की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं जागरूक नागरिक मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश प्रताप सिंह धनगर एडवोकेट ने कहा कि देश भर के मिशनरी साथियों को मायावती रूपी लकीर के नीचे एक लम्बी लकीर खींच देनी चाहिए। तभी डाॅ. अम्बेडकर व कांशीराम के आन्दोलन को बचाया जा सकता है। मायावती ने बसपा को अपनी निजी जागीर समझ कर उसे एक प्राइवेट कम्पनी बना लिया है। मायावती खुलेआम प्रधानी से लेकर सांसद का टिकट बेच कर बहुजन समाज का नाम बदनाम कर रही हैं। बसपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अम्बेडकर व कांशीराम के मिशन को बचाने के लिये सार्वजनिक रूप से मायावती के विरुद्ध सड़कों पर उतरना होगा, तभी मिशन बचेगा।
डाॅ. धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि मायावती ने बहुजन समाज को बेचने का ठेका ले रखा है। अभी हाल में लोक सभा के सम्पन्न हुये चुनाव में उन्होंने बसपा का टिकट करोड़ों की बोली लगवा कर बेचा है। मायावती का नैतिक पतन हो चुका है। उनके भाई की चार सौ करोड़ की सम्पत्ति आयकर विभाग ने जब्त कर ली है। इसके अलावा करोड़ों रुपये की सम्पत्ति ईडी की राडार पर है। मायावती से बहुजन समाज का अब कोई हित होने वाला नहीं है। बहुजन समाज के लोगों को एक सामूहिक नेतृत्व व विकल्प तैयार करने की दिशा में पहल करनी चाहिये, तभी डाॅ. अम्बेडकर व कांशीराम के सपनों के भारत का निर्माण हो सकता है।
वामसेफ के समीर कुमार दोहरे ने कहा कि धन दौलत की चाहत ने बहन मायावती को पथभ्रष्ट कर दिया है। उनमें अब सुधार होना असम्भव है। चारों ओर बहुजन समाज के सर्वहारा वर्ग का उत्पीड़न और शोषण हो रहा है, जिसके विरुद्ध बहन जी कभी भी एक शब्द नहीं बोलतीं है। यही कारण है कि आज बहुजन समाज पार्टी रसातल में जा रही है।