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इटावा

चंबल में अठखेलियां करने लगी हैं डॉल्फिन, रास आ रहा यहां का पानी, बढ़ रहा है कुनबा

– गंगा की तरह चंबल में भी अठखेलियां करने लगी हैं डॉल्फिन- 1979 में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में छोड़े गए थे डॉल्फिन के पांच जोड़े अब हैं 150 से अधिक वयस्क डॉल्फिन – लायन सफारी में बढ़ेगा शेरों का कुनबा, शेरनी जेसिका के दोनों बच्चे निकले मादा

इटावाJan 16, 2021 / 05:30 pm

Karishma Lalwani

चंबल में अठखेलियां करने लगी हैं डॉल्फिन, रास आ रहा यहां का पानी, बढ़ रहा है कुनबा

चंबल में अठखेलियां करने लगी हैं डॉल्फिन, रास आ रहा यहां का पानी, बढ़ रहा है कुनबा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

इटावा. दुनिया की सबसे बुद्धिमान जीव कही जाने वाली डॉल्फिन का कुनबा चंबल नदी में अब बढ़ रहा है। पिछले करीब 40 सालों में डॉल्फिन की संख्या में दोगुनी तेजी से इजाफा हुआ है। 1979 में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में घड़ियालों के साथ गंगा डॉल्फिन (गंगा सूंस) के भी संरक्षण का काम शुरू किया गया था। तब यहां डॉल्फिन के महज पांच जोड़े छोड़े गए थे। पिछले वर्ष दिसंबर में जब चंबल सेंक्चुअरी की टीम ने डॉल्फिनों की गणना की तो नतीजे काफी बेहतर मिले। सेंक्चुरी के क्षेत्राधिकारी के अनुसार चंबल में 150 वयस्क डॉल्फिन अठखेलियां करती दिखी। समुद्री लहरों के बीच अठखेलियाें करने वाली डॉफ्लिनों को चंबल का पानी रास आ रहा है। साफ पानी और ऑक्सीजन की अच्छी मात्रा मिलने से उनकी संख्या में इजाफा हुआ है।
साफ और शुद्ध चंबल का पानी

चंबल नदी डॉल्फिन के साथ-साथ घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुए और विभिन्न प्रकार के जलचरों के लिए जानी जाती है। चंबल का पानी मीठा, साफ और शुद्ध होने के कारण यहां पिछले कुछ सालों में डॉल्फिन्स का कुनबा बढ़ा है। सेंक्चुअरी के क्षेत्राधिकारी हरिकिशोर शुक्ला के अनुसार, डॉल्फिन प्रदूषित पानी में कभी नहीं रहती। पानी में प्रदूषण बढ़ते ही डॉल्फिन वह क्षेत्र छोड़ देती है। चंबल में ऐसा नहीं हुआ। यही वजह है कि बीते कुछ सालों में उनकी संख्या इतनी बढ़ गई। क्षेत्राधिकारी के अनुसार, अगर ऐसे ही उनकी संख्या बढ़ती गई तो जल्द ही गंगा से ज्यादा यहां डॉल्फिन पाईं जाने लगेंगी।
भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव

गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन राष्ट्रीय जलीय जीव है। 5 अक्टूबर, 2009 को केंद्र सरकार ने गंगा डॉल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। इसका वैज्ञानिक नाम प्लैटनिस्टा गैंगेटिका है। गंगा डॉल्फिन गंगा ब्रह्मपुत्र, सिंधु, मेघना नदी अपवाह तंत्र जिसमे भारत, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं, में पाई जाती है। उत्तर प्रदेश में ये नरोरा और बिहार के पटना साहिब के क्षेत्र में पाई जाती हैं। 1972 में डॉल्फिन को भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के दायरे में लाया गया, जिसका मतलब कि इनका शिकार करना अपराध है। इसके बाद 1996 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजरवेशन ऑफ नेचर ने इन्हें विलुप्त प्राय जलीय जीव घोषित किया। भारत में डॉल्फिनों की संख्या बढ़ाने के लिए मिशन क्लीन गंगा चलाया जा रहा है।
इनसेट

लायन सफारी में बढ़ेगा शेरों का कुनबा

इटावा जिले के लायन सफारी में शेरों का कुनबा बढ़ रहा है। शेरनी जेसिका ने के पैदा हुए दोनों शावक मादा हैं। 12 दिसंबर को उसने दोनों को जन्म दिया था। दोनों शावकों के मादा निकलने से इटावा सफारी प्रशासन के अधिकारी काफी खुश हैं। उप निदेशक सुरेंद्र चंद्र राजपूत का कहना है शेर का कुनबा बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। उनका कहना है कि दोनों शावकों का वजन पांच किलो ग्राम व चार किलो 650 ग्राम है और दोनों शावक पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हैं। दोनों मादा शावकों के जन्म के बाद अब लायन सफारी में इनकी संख्या 11 हो गई है, जबकि नर शेर की संख्या नौ है।
चौथी बार मां बनी शेरनी जेसिका

शेरनी जेसिका चैथी बार मां बनी है। वर्ष 2016 से अब तक 8 शावकों को जन्म दे चुकी है। शेरनी जेसिका के सबसे बड़े दो शावक सिंबा व सुल्तान हैं, जो कि इन दिनों इटावा सफारी पार्क की रौनक बने हुए हैं। उनका जन्म 6 अक्टूबर, 2016 को हुआ था। जेसिका का तीसरा बेटा बाहुबली 15 जनवरी, 2018 को पैदा हुआ था। वह भी करीब तीन साल का होने वाला है। पार्क प्रशासन का मानना है कि सिंबा और सुल्तान की उम्र साढ़े चार साल हो गई है। सफारी प्रबंधन द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है।

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