इस दिन की अमावस्या अधिक महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि पुरे वर्ष भर जब मनुष्य पितृ तर्पण करता है तो जिस कुशा का प्रयोग करता है उसे ग्रहण करने का दिन भाद्रपद अमावस्या (Bhadrapada Amavasya) होती है। यदि वह अमावस्या सोमवार की पड़े तो अधिक पुण्यदायी मानी जाती है, क्योंकि सोमवार को पृथ्वी पर सोमांश प्राप्त होता है। चन्द्रमा जल का कारक है जलतत्व और सोमांश की प्राप्ति अमावस्या (Amavasya) को अमृत के समान मानी गई है। इस अमावस्या का भाद्रपद मास में आना सुभिक्ष के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। अर्थात पृथ्वी पर अन्न धन पर्याप्त रहता है। कृषि कार्यों में अधिक अन्न प्राप्त होता है।
यही वजह है कि इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान (Ganga Snan) को बड़ी संख्या में जुटते हैं। इस दिन गंगा स्नान का अपना अलग महत्व है। आज के दिन विश्व के कुछ हिस्सों में सूर्यग्रहण भी है। भारत में यह नहीं दिखने से सूतक आदि का कोई प्रभाव आज गंगा स्नान या पूजा-पाठ पर नहीं है।
सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने सुबह तड़के ही गंगा स्नान कर मां गंगा से सुख समृद्धि की कामना की। गंगा स्नान के बाद विभिन्न मंदिरों में भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गायत्री मंत्र व भगवान शंकर के मंत्रों को जपते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक किया। धतूरा, बेलपत्र, भांग, दूध, फल-फूल सहित शिव को प्रिय अन्य वस्तुएं लेकर पहुंचे भक्तों ने हर हर महादेव के जयकारे लगाए और भगवान शिव का जलाभिषेक किया।स्नान और दान के लिए सुबह से ही गंगा घाट में श्रद्धालु जुटने लगे। पुरानी घटियाघाट गंगा घाटों पर भी सोमवती अमावस्या के स्नान को लेकर भीड़ उमड़ी रही। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के पश्चात दान पुण्य भी किए।