उसने सुबह लगभग दस बजे अपने घर के कमरे में दुपट्टे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना पर कोहराम मच गया। मृतका अंजू की मां माया देवी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। घटना की सूचना पुलिस को दी गयी। जिसके बाद प्रभारी निरीक्षक डीबी तिवारी फ़ोर्स के साथ मौके पर आ गये। उन्होंने जांच पड़ताल कर शव का पंचनामा भराया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। सूत्रों के अनुसार अंजू की नौकरी करने को राजी नहीं थी। परिजन उससे जबरन नौकरी का दबाब डालते थे। इस बात से लेकर कई बार परिजनों और अंजू में विवाद भी हुआ था। फ़िलहाल इसका कोई साक्ष्य नहीं मिला।
ट्रेनिंग पर ही वापस नहीं जाना चाहती थी अंजू
अंजू के फांसी लगाकर जान देने के बाद गांव में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बताया गया कि करीब डेढ़ माह पूर्व अंजू गाजियाबाद से ट्रेनिंग के दौरान घर आई थी। तब वह वापस ट्रेनिंग पर न जाने की बात कह रही थी। उसके पिता ने उसे किसी तरह समझाकर ट्रेनिंग पूरी करने के लिए गाजियाबाद भेजा था। पर यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी थी कि वह ट्रेनिंग पर वापस क्यों नहीं जाना चाहती थी। उसने गांव की ही अपनी एक दो सहेलियों को यह बताया था कि वह पुलिस की नौकरी नहीं करना चाहती है।