
1st gupt navratri of year 2022
Gupt Navratri 2022 Date and time : इस वर्ष 2022 (अंग्रेजी कैलेंडर) की पहली नवरात्रि साल 2022 के दूसरे महीने के दूसरे दिन यानि बुधवार,02 फरवरी से शुरु होने जा रही हैं। साल 2022 में यानि हिंदी कैलेंडर 2078 के माघ मास की गुप्त नवरात्रि माघ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि 2 फरवरी, बुधवार से शुरू होकर 10 फरवरी 2022, बृहस्पतिवार तक रहेगी।
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस बार यानि 2022 में माघ मास की गुप्त नवरात्रि की साधना के लिए घटस्थापना 02 फरवरी 2022 को सुबह 07:09 AM से 08:31 AM के बीच करना अत्यंत शुभ रहेगा।
देवी भक्त व पंडित सुनील शर्मा के अनुसार साधक को गुप्त नवरात्रि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करके देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी आदि पहनाकर रखना चाहिए। इसके पश्चात एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीजों को बोना चाहिए। इसके साथ ही मंगल कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम्रपल्लव और श्रीफल रखकर स्थापित करें और फिर फल-फूल आदि को अर्पित करते हुए देवी की विधि-विधान से हर रोज पूजा करें।
इसके बाद मिट्टी के बर्तन में बोए इन बीजों पर हर दिन निश्चित मात्रा में जल का छिड़काव करते रहना होता है। फिर अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा आदि का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें। इसके बाद गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के बाद देवी दुर्गा की आरती गाएं। पूजा की समाप्ति के बाद कलश के जल का घर में छिड़काव कर बाकि बचे जल को किसी पवित्र स्थान पर या किसी पूजित वृक्ष के नीचे विसर्जन कर दें।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार वर्ष में आदि शक्ति मां भगवती की उपासना के लिए चार नवरात्रि आती है। इसमें दो गुप्त और दो उदय या मुख्य नवरात्रि होती हैं। चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि उदय या मुख्य नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। जबकि आषाढ़ और माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और आसपास के इलाकों में खासतौर पर मनाई जाती है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करने का विधान है। इन दिनों भी 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा से नवमीं तक प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजन होता है। ये नवरात्रि तंत्र साधना के लिए बहुत अधिक महत्व की मानी गई हैं।
गुप्त नवरात्रि: क्या है विशेष -
जानकारों के अनुसार गुप्त नवरात्रि का पर्व तंत्र साधना का मार्ग लेते हुए किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए है। किंतु अन्य नवरात्रि की तरह ही इसमें भी व्रत-पूजा, पाठ, उपवास किया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साधक अनेक उपाय करते हैं। इसमें दुर्गा चालीसा,दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ काफी लाभदायी माना गया है। कहा जाता है कि यह नवरात्रि धन, संतान सुख दिलाने के साथ-साथ शत्रु से भी मुक्ति दिलाती है।
गुप्त नवरात्रि की देवियां- गुप्त नवरात्रि में 10 देवियों का पूजन किया जाता है, इनमें मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं।
गुप्त नवरात्रि का महत्व-
देवी भागवत पुराण के अनुसार वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है और जिस प्रकार चैत्र व अश्विन नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक कियाओं, शक्ति साधनाओं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान साधक देवी भगवती की बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं।
इस दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्रि पर्व की अष्टमी या नवमी के दिन कन्या-पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि की पूजा व उपाय (Gupt Navratri Wroship Remedies)
देवी भक्त पं. शर्मा के अनुसार माघ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए साधक को शक्ति की साधना के नौ दिनों तक पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इस उपाय को करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं। वहीं जो लोग समय की कमी के कारण ऐसा नहीं कर सकते हैं,उन्हें सिद्ध कुंजिकास्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
जानकारों के मुताबिक जहां पौराणिक ग्रंथाें के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा भी गोपनीय तरीके से की जाती है। इसका सीधा मतलब है कि, इस दौरान तांत्रिक क्रिया कलापों पर ही ध्यान दिया जाता है। इसमें मां दुर्गा के भक्त आसपास के लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं लगने देते, कि वे कोई साधना कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान जितनी गोपनीयता बरती जाए, उतनी ही जल्दी और विशेष सफलता मिलती है।
Updated on:
24 Jan 2022 04:00 pm
Published on:
23 Jan 2022 12:54 pm
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