जानकारों के अनुसार जिन सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा है, वे विधिवत पूजन करने के बाद रात में चन्द्रमा के दर्शन, पूजन और अर्घ्य देने के बाद अपना निर्जला व्रत खोलेंगी।
मान्यता के अनुसार इस विधि से व्रत खोलने से करवाचौथ का व्रत पूर्ण और सफल माना जाता है। साथ ही व्रती महिलाओं को करवाचौथ के दिन कुछ नियमों का पालन करना अवश्य होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें आजीवन पति का प्रेम और साथ मिलता है।
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करवाचौथ का व्रत : ऐसे खोलें
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार करवाचौथ के नियम के तहत इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए निर्जला उपवास रखना होता है इसके साथ ही शाम को सूर्यास्त के कुछ समय पहले से ही करवा माता की पूजा शुरू कर दी जाती है। पूजा पूर्ण होने के बाद और चांद निकले के पूर्व व्रत खोलने के लिए पूर्व निर्धारित भोजन बनाकर तैयार कर लेना चाहिए।
इसके बाद आकाश में चांद के दर्शन होते ही सबसे पहले चांद को अर्घ्य दे और चांद के पूजन के बाद अपने जीवन साथी को तिलक लगाकर, आरती उतरे और पूजन करें, फिर अपने पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
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इसके बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करके और कुछ मीठा खाकर अपने निर्जला करवा चौथ के व्रत को खोलें। इस तरह व्रत खोलने से आपका व्रत सफल और फलदायी माना जाता है।
करवा चौथ के नियम : पूरे दिन इन नियमों का पालन करें-
1- करवाचौथ के दिन महिलाएं काले वस्त्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए । साथ ही इस दिन सफेद साड़ी भी बिलकुल नहीं पहनें ।
2- करवाचौथ के दिन न तो कैंची का प्रयोग न करें। और ना ही इस दिन सिलाई-कढ़ाई का काम करें।
3 – करवाचौथ का दिन रामायण, गीता या अन्य धार्मिक किताबें पड़ने या धार्मिक संगीत और भजन सुनकर बिताएं।
4 – इस दिन किसी का अनादर न करें, और ना ही किसी की चुगली या बुराई करें, माना जाता है की ऐसा करने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है। इस दिन अपने से बड़ों का निरादर तो भूलकर भी न करें।
5 – इस दिन पति के अलावा किसी अन्य का चिंतन बिलकुल न करें।
6 – इस दिन श्रृंगार करते समय जो चूड़ियां टूट जाएं उन्हें घर में तो भूलकर भी नहीं रखते हुए बहते जल में ही प्रवाहित कर या करा दें ।