ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पंचक काल की अवधि में किए गए कोई भी कार्य अशुभ और हानिकारक फल देते हैं इसलिए इस अवधि में शुभ कार्य करने की मनाही है। पंचक काल के दिनों में विशेष संभलकर रहने की आवश्यकता होती है, इसलिए पंचक के दौरान कोई भी जोखिमभरा कार्य करने से बचना चाहिए। पंचक काल के समय में यात्रा करना, लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के बड़े सौदे भी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इससे धन हानि हो सकती है। पंचक काल में भूलकर भी कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से धन हानि एवं अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
पंचक में वर्जित है ये शुभ कार्य
1- जब पंचक लगा हो उस अवधि में लकड़ी, तेल, ईधन, छप्पर, आदि वस्तुओं को नहीं खरीदना चाहिए।
2- पंचक की अवधि में मकान की मरम्मत के कार्य नहीं करने चाहिए।
3- जब पंचक लगा हो तब पलंग, खटिया, कुर्सी और सोफा आदि को बनाने या सुधारने के कार्य नहीं करवाना चाहिए।
4- पंचक को दौरान नई नवेली दुल्हन को लाने या विदाई भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
5- पंचक की अवधि में प्रयास करें की कोई भी नये कामों का आरंभ नहीं हो।
6- पंचक के दौरान जमीन जायदाद, नये पुराने वाहन आदि को ना तो खरीदे और ना ही बेचे।
ये है पंचक
आकाश को कुल 27 नक्षत्रों में बांटा गया है। इन 27 नक्षत्रों में अंतिम पांच नक्षत्र- धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों के संयोग को पंचक कहा जाता है। इन पांच नक्षत्रों की युति यानी गठजोड़ अशुभ होता है। ‘मुहूर्त चिंतामणि’ अनुसार इन नक्षत्रों की युति में किसी की मृत्यु होने पर परिवार के अन्य सदस्यों को मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट सहना पड़ता है।
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