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इकोनॉमी में देखने को मिलेगा बुरा असर
सीईओ राकेश कुमार भुटोरिया के अनुसार कोविड-19 की वजह से देश की इकोनॉमी पर काफी बुरा असर देखने को मिल रहा है। इसका कारण है देश की तमाम इंडस्ट्री पर इसका सीधा असर पडऩा। उन्होंने कहा कि देश की इकोनॉमी में गड्डे को भरने के लिए भले ही राहत पैकेज और बैंक मोरेटोरियम जैसी सुविधाएं सरकार ने दी हों, लेकिन इसे और बढ़ाने की जरुरत है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अभी न सरकार को ना ही किसी और इस बात के बारे में पता है कि आखिर कोविड-19 कितने दिनों तक रहने वाला है। लॉकडाउन को आगे बढ़ाने के बारे में सरकार अभी मना कर रही है, लेकिन स्थिति बिगडऩे पर इसे और आगे बढ़ाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर सकती है। ऐसे में सरकार और आरबीआई और राहतों के ऐलान करने की आवश्यकता है, ताकि देश की इकोनॉकी को डूबने से बचाया जा सके। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को जो मोरेटोरियम दिया है, उसका सबसे ज्यादा फायदा एमएसएमई एवं एसएमई को मिलना चाहिए। क्योंकि यही लोग बैंकों से ज्यादा लोन लेते हैं।
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एनबीएफसी को मिले बैंकों की तरह राहत
भुटोरिया का कहना है कि आरबीआई ने बैंकों को तीन महीने का मोरेटियम दिया है। ऐसा ही मोरेटियम नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को भी मिलना चाहिए। इंडस्ट्री की ओर से सरकार से इस बात की डिमांड की गई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को कुछ भी करने की जरुरत नहीं है। सरकार को इस बारे में क्लैरिफिकेशन देना है कि जिस तरह का मोरेटियम बैंकों पर लागू है वो ही नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों पर लागू होगा। इससे एमएसएमई और छोटे कारोबारियों को बड़ा फायदा होगा। इसका कारण ये है कि एमएसएमई और छोटे कारोबारियों की ओर से एनबीएफसी से ही लोन उठाया हुआ है। कारोबार बंद होने की वजह ईएमआई चुकाना नामुमकिन है। इसलिए एनबीएफसी पर भी बैंकों की तरह मोरेटोरियम लागू होना काफी जरूरी है।
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वन टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग की मिले परमीशन
राकेश कुमार भुटोरिया ने इंडस्ट्रीज की ओर से उठी दूसरी मांग के बारे में बात करते हुए कहा कि मौजूदा हालातों में यह बता पाना काफी मुश्किल है कि कोविड-19 का असर कब तक जारी रहने के आसार हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई को बैंकों के तीन महीने के मोरेटोरियम 6 महीने तब बढ़ा देना चाहिए। उन्होंने लोन लेने वाले उद्योगों को राहत देने के लिहाज से एक और बात कही। उन्होंने बताया कि बैंको को मोरेटोरियम से अलग वन टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग की भी परमीशन मिलनी चाहिए। उदाहरण के लिए मौजूदा समय में बैंक ने किसी कारोबारी को 5 साल के लिए 5 करोड़ रुपए का लोन दिया है। एक साल तक कारोबारी समय पर ब्याज सहित किस्तें चुका रहा है। अब जब कोविड 19 की सिचुएशन में कारोबार सिमट गया या बंद हो गया है तो ऐसे में बैंक बैक हिस्ट्री को देखते हुए लोनधारक के आवेदन पर उसके लोन की रिस्ट्रक्चरिंग करें और उस लोन को 5 की जगह 10 साल कर उसकी ईएमआई की रकम को कम कर राहत दे। ऐसा करने पर बैंकों का एनपीए भी नहीं बढ़ेगा। साथ ही इंडस्ट्री को दोबारा से खड़े होने की हिम्मत मिलेगी।