सरकार द्वारा दिए गए इस छूट के बाद अब कारोबारी मास्टरकार्ड ( MasterCard ) या वीजा कार्ड ( visa card ) की तुलना में UPI व अन्य E-Payment भुगतान को स्वीकारना पसंद करेंगे। 50 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले रिटेलर क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन ( Credit Card Transaction ) पर अधिक निर्भर हैं, जिसके लिए वे मर्चेेंट डिस्काउंट रेट ( MDR ) के जरिए 2 फीसदी तक पे करते थे।
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इलेक्ट्राॅनिक पेमेंट पर सरकार का जोर
यूनियन बजट 2019 ( Union Budget 2019 ) के भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) ने कहा कि इन कंपनियों के लिए अब अनिवार्य होगा कि वे अपने इलेक्ट्राॅनिक पेमेंट का विकल्प उपलब्ध करायें। इन इलेक्ट्राॅनिक पेमेंट माध्यमों में भीम यूपीआई, यूपीआई-क्यूआर कोड, आधार पे, कुछ डेबिट कार्ड, नेशनल इलेक्ट्राॅनिक फंड ट्रांसफर ( NEFT ) और रियल टाइम ग्राॅस सेटलमेंट ( RTGS ) शामिल हैं। इनमें से किसी भी मोड के जरिए पेमेंट पर शुल्क का भुगतान बैंक और आरबीआई करता है।
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डिजिटल पेमेंट बढ़ाने पर सरकार का जोर
इन बड़े बिजनेस में ई-पेमेंट की सुविधा देने के लिए इस साल 1 नवंबर 2019 से इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 269SU के तहत नया नियम लागू कर दिया जायेगा। लिहाजा, इस नियम के लागू होने के बाद यूपीआई बेस्ड पेमेंट में इजाफा हाेगा। साथ ही सरकार के डिजिटल पेमेंट की योजना को भी समर्थन मिलेगा। हालांकि, वित्त मंत्री के भाषण में ‘निश्चित डेबिट कार्ड’ से कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि सरकार रूपे और अन्य कार्ड ( मास्टर कार्ड व वीजा कार्ड) पेमेंट के बीच एक लकीर खींचने की कोशिश कर रही है।
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