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ई-वॉलिट कंपनियों पर भारी पड़ने वाले नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के नए नियम

एनपीसीआई ने डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए जारी किए नए दिशानिर्देश
अप्रैल 2020 से फोनपे और गूगलपे को अपनी बाजार हिस्सेदारी 33 फीसदी रखनी होगी

नई दिल्लीSep 11, 2019 / 05:38 pm

Saurabh Sharma

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नई दिल्ली। यूपीआई के बूते सफलता हासिल करने वाली फोनपे और गूगलपे जैसी कंपनियों को अब झटका लगने वाला है, क्योंकि नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ( एनपीसीआई ) ने डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि यूपीआई में संकेंद्रन और प्रणालीगत जोखिमों को कम किया जा सके। एनपीसीआई द्वारा लागू महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक में डिजिटल पेमेंट कंपनियों की यूपीआई बाजार हिस्सेदारी की सीमा निर्धारित की गई है।

इस कदम से सीधे तौर से यूपीआई-ओनली कंपनियों को नुकसान होगा, जिसमें वालमार्ट का फोनपे और गूगल पे के साथ ही जल्द लांच होने वाली वाट्सएप पे भी शामिल है। दिलचस्प है कि पेटीएम इकलौती बड़ी कंपनी है, जो यूपीआई के अलावा अपने वॉलेट और काड्र्स का समर्थन कर रही है।

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अप्रैल 2020 से फोनपे और गूगलपे को अपनी बाजार हिस्सेदारी 33 फीसदी तक की सीमा में ही रखनी होगी, जिससे अंतत: उनकी विकास योजनाएं अवरूद्ध होगी। सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए इन कंपनियों ने अब तक काफी ज्यादा निवेश किया है, और यह कदम उनके लिए एक बड़ा झटका है।

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दिलचस्प है कि मार्गन स्टेलने ने हाल ही में वालमार्ट के शेयर कीमतों में वृद्धि के लिए फोनपे की सफलता को बड़ा श्रेय दिया था। लेकिन सीमा तय करने की नई नीति से कंपनी के मूल्यांकन और वित्त जुटाने की योजनाओं को भी झटका लगेगा, क्योंकि वह टाइगर ग्लोबल, टेंसेंट, डीएसटी ग्लोबल, सॉफ्टबैंक और अन्य से 1 अरब डॉलर जुटाने की प्रक्रिया में है।

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एक वरिष्ठ बैंकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “यह गैर-बैंकिंग भुगतान कंपनियों द्वारा बढ़ते सुरक्षा खतरों पर एनसीपीआई की चिन्ताओं को प्रदर्शित करता है। अब फोनपे को वित्त जुटाने की व्यवसायिक रणनीति पर पुर्नविचार करना होगा।” वहीं, उद्योग के अन्य दिग्गजों और विशेषज्ञों ने एनपीसीआई के इस कदम की सराहना की है और उनकी राय है कि इससे भारत में डिजिटल भुगतान के बुनियादी ढांचे को सुरक्षित किया जा सकेगा।

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