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बैंकों और बीमा कंपनियों में पड़े 32,455 करोड़ रुपए का नहीं है कोई दावेदार, साल 2018 में 26 फीसदी बढ़ा आंकड़ा

locationनई दिल्लीPublished: Jul 02, 2019 10:02:53 am

Submitted by:

Shivani Sharma

Finance Minister Nirmala Sitharaman ने सोमवार को अनक्लेम्ड डिपॉजिट आंकड़े की जानकारी दी। साल 2018 में यह आंकड़ा 14578 करोड़ हो गया है।

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बैंकों और बीमा कंपनियों में पड़े 32,455 करोड़ रुपए का नहीं है कोई दावेदार, साल 2018 में 26 फीसदी बढ़ा आंकड़ा

नई दिल्ली। सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि हमारे देश में गैर दावे वाले यानी अनक्लेम्ड डिपॉजिट का आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है। साल 2018 में यह आंकड़ा 26.8 फीसदी बढ़कर 14578 करोड़ रुपए हो गया है। बैंकों में पड़े हुए इन रुपयों का कोई दावेदार नहीं है। साल 2016 के बाद से इस आंकड़े में हर साल काफी बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा बीमा कंपनियां के भी करोड़ों रुपए का कोई दावेदार नहीं है।


हर साल बढ़ रहा आंकड़ा

आपको बता दें कि साल 2017 में अनक्लेम्ड डिपॉजिट का आंकड़ा बढ़कर 11494 करोड़ रुपए था। जबकि 2016 में यह 8928 करोड़ रुपए था। इसमें इंश्योरेंस कंपनियों में कुल 17877.28 करोड़ रुपए लावारिस हैं। वित्त मंत्री ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि 2018 के आखिर में सिर्फ SBI में अनक्लेम्ड डिपॉजिट का आंकड़ा 2156.33 करोड़ रुपए था।


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निर्मला सीतारमण ने दी जानकारी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों में पड़े डिपॉजिट की खबर लेने वाला कोई नहीं है। इसलिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 में हुए संशोधन और इसी एक्ट के सेक्शन 26ए के इन्सर्शन के अनुरूप आरबीआई ने डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड ( DEAF ) स्कीम 2014 को बनाया है। इस स्कीम के तहत बैंक 10 साल या उससे ज्यादा समय से ऑपरेट नहीं किए गए सभी अकाउंट में मौजूद क्यूमुलेटिव बैलेंस को उसके ब्याज के साथ कैलकुलेट करते हैं और उस अमाउंट को DEAF में ट्रांसफर कर देते हैं।


इंश्योरेंस सेक्टर में 16 हजार करोड़ का नहीं है कोई दावेदार

इंश्योरेंस सेक्टर की बात करें तो उसके लिए उन्होंने कहा कि सितंबर 2018 के आखिर तक लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में 16887.66 करोड़ रुपए का अनक्लेम्ड अमाउंट था, जबकि नॉन-लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में यह अमाउंट 989.62 करोड़ रुपये था। देश में पड़े बिना दावे वाले रुपयों के लिए सरकार ने DEAF में ट्रांसफर हो चुके अनक्लेमड अमाउंट का अगर कोई कस्टमर आ जाता है तो उसको भुगतान कर दिया जाता है और अगर कोई कस्टमर नहीं आता है तो उसके रिफंड के लिए सरकार के द्वारा दावा किया जाता है।

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