हीरो इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के पहले संस्करण में खिताब से दूर रहने के बाद दिल्ली डयनामोज ने अच्छी प्रगति की है। पहले सीजन के बाद अगले दो सीजन में वह अंतिम चार में जगह बना पाने में सफल रही थी।
2015 में वह गोवा एक गोल की बढ़त के साथ गए थे, लेकिन एफसी गोवा से 0-3 से हार गए थे। पिछले साल वह कोच्चि एक गोल के अंतर के साथ गए थे। मैच का दूसरा चरण 2-1 से जीत भी गए थे, लेकिन घर से बाहर किए गए गोलों के मामले में वह पीछे रह कर बाहर हो गए थे। दोनों मौकों में घर से बाहर अच्छा प्रदर्शन न कर पाने की कमी के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। उनके प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा लगता है कि डायनामोज घर में तो शानदार खेलते हैं। लेकिन अब उन्हें घर से बाहर भी बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है।
इस समय सभी की नजरें पुर्तगाल के मिग्युएल एंजेल पर होंगी। उनका काम आसान है- अपनी टीम से पिछले सीजन से बेहतर प्रदर्शन करवाना। हां गियानलुका जामब्रोटा की टीम ने 2016-17 के सीजन में अपने आप को अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया था,लेकिन वह पूरी तरह से सफर खत्म नहीं कर पाई थी। रोचक बात यह है कि स्पेन के मिग्युएल डायनामोज के चौथे कोच हैं।
मानसिकता में बदलाव भी देखने को मिल सकता है। दिल्ली की टीम पिछले सीजन में स्टार खिलाड़ियों पर काफी हद तक निर्भर रही थी। फ्लोरेंटो मालुडा, रोबिन सिंह, रिचर्ड गाड्जे और मार्सेलिनो ने टीम को अपने कंधों पर ढोया था। इस सीजन में उन्होंने कई तरह के बेहतरीन खिलाड़ी चुने हैं ताकि एकजुट होकर खेला जा सके।
अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव हर पंक्ति पर होगा क्योंकि टीम के पास इस सीजन में प्रीतम कोटाल, सेना राल्टे, प्रतीक चौधरी, सेतियासेन सिंह और रोमियो फर्नांडेज जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। मिडफील्ड में टीम के पास दक्षिण अमेरिका के मातियास मिराबाजे (उरुग्वे) और पॉलिंहो डिएस (ब्राजील) जैसे अनुभवी खिलाड़ी हैं। डायनामोज ने अनजान खिलाड़ियों को लाकर उन्हें पहचान दिलाने की आदत सी बना ली है। इसका पूरा श्रेय टीम के उन लोगों को जाता है जो खिलाड़ियों की भर्ती करते हैं। वह नीलामी में तेजी से काम करने के साथ-साथ टीम को मजबूती देने में भी तेजी दिखाते हैं। मिगुएल्य रियल मेड्रिड के लिए खेल चुके हैं और उन्होंने इस स्पेनिश क्लब की बी तथा सी टीमों को प्रशिक्षण भी दिया है। उनकी आदत है कि वह विंगर को ज्यादा प्रभावी बनाते हैं और इसका असर उनके खिलाड़ियों के चुनाव में भी दिखता है। उन्होंने दोनों छोर पर खेलने के लिए तेज और आक्रामक भारतीय खिलाड़ी चुने हैं तो मध्य में अनुभवी विदेशी खिलाड़ी।
दिल्ली के प्रशंसक अंतिम चार में अपनी टीम को देखने के आदि हो गए हैं। पहले सीजन में टीम पांचवें स्थान पर रही थी और सिर्फ एक अंक से चूक गई थी। अगर उनके आकंड़ों की तुलना दो बार की विजेता। एटलेटिको दे कोलकाता से की जाए तो बहुत ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिलेगा। दिल्ली ने एटीके से ज्यादा पास दिए हैं और काफी सटीकता दिखाई है। उन्होंने ज्यादा शॉट्स लिए हैं और हवा में आई गेंद पर हेडर भी कम मैचों में ज्यादा जीते हैं। टूर्नामेंट के इतिहास में उन्होंने एटीके से बस एक गोल (64) कम किया है।
रिकार्ड बताते हैं की दिल्ली निरंतर अच्छा प्रदर्शन करती आई है। सीजन के साथ वह बेहतर होती गई है। 2014 में वह पांचवें स्थान पर रही थी, 2015 में चौथे, 2016 में वह तीसरे स्थान पर रही थी। अब समय है कि वह इससे आगे जाए और खिताब को अपना लक्ष्य बनाए। यह वो टीम नहीं है जो पीछे हटती हो बल्कि यह वो टीम है जो समय के साथ निरंतरता हासिल करती जा रही है। इसी को देखते हुए दिल्ली एक बार फिर सेमीफाइनल में पहुंचने की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।