संस्थान का शोध जर्मनी की विज्ञान पत्रिका एंजवेन्टे केमी में प्रकाशित हुआ है। शोध का नेतृत्व आइआइटी मंडी में स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजय सोनी ने किया। उन्होंने पिछले हफ्ते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा की थी। इसमें बताया गया कि थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर किस तरह काम करता है। शोधकर्ताओं की टीम ने सिल्वर टेलुराइड नैनोवायर से थर्मोइलेक्ट्रिक मॉड्यूल बनाया। डिवाइस मानव स्पर्श पर महत्त्वपूर्ण आउटपुट वॉल्टेज देना शुरू कर देती है। यह किसी भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को चार्ज करने में सक्षम है। स्मार्टफोन को पॉकेट में और डिवाइस को हाथ में रखने से फोन चार्ज हो जाएगा। डिवाइस से स्मार्टफोन के अलावा लैपटॉप, इयरबड्स समेत कई अन्य उपकरण भी चार्ज किया जा सकेंगे।
गर्मी को बिजली में बदलने का सिद्धांत थर्मोइलेक्ट्रिक तंत्रों के जरिए गर्मी का बिजली में या बिजली का गर्मी में परिवर्तन किया जा सकता है। गर्मी के बिजली में परिवर्तन का थर्मोइलेक्ट्रिक सिद्धांत 1821 में एस्टोनियाई भौतिक विज्ञानी थॉमस सीबेक ने खोजा था। आइआइटी मंडी के शोधकर्ताओं ने इसी खोज के आधार पर डिवाइस विकसित की। डिवाइस के बाद स्मार्टफोन के साथ चार्जर रखने की जरूरत नहीं होगी।
मॉडयूल को बस गर्मी चाहिए प्रोफेसर सोनी का कहना है कि उनकी टीम द्वारा विकसित मॉड्यूल मानव शरीर के अलावा विभिन्न उपकरणों से निकलने वाली गर्मी को भी बिजली में बदल सकता है। मसलन कार का बोनट गर्म होने पर उससे ऊर्जा का निर्माण किया जा सकता है। इसी तरह पानी फेंकने वाले पंप की गर्मी से भी ऊर्जा बनाई जा सकती है।