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अब स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ा ही एक और मामला सामने आया है। जिसमें स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को साफ करने और अन्य सुविधाओं को पूरा करने के लिए नए वाहन खरीदे गए। ये वाहन बदस्तूर अपना काम कर रहे हैं। लेकिन आज तक भी इन वाहनों को आरटीओ विभाग से रजिस्टर्ड नहीं कराया गया है। इसकी वजह से सीधे तौर पर राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।वहीं बिना नम्बर के ये वाहन लोगों के लिए यमराज साबित हो रहे हैं। गाजियाबाद में इन वाहनों से निगम की लाइटिंग, कूड़े को उठाने का काम किया जाता है। नम्बर रजिस्टर्ड न होने की वजह से इनका कोई बीमा भी नहीं है। जबकि वाहन पिलखुआ के पास गालंद तक वाहनों में कूड़ा भरकर डम्प करने के लिए लिए जाते हैं। ऐसे में अगर इनसे कोई हादसा घटित होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। रजिस्ट्रेशन नंबर के नाम पर केवल नगर निगम शब्द मोटे अक्षरों में अंकित कर दिया गया है।
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शहरी विकास मंत्री ने दिखाई थी हरी झंडीये तमाम वो वाहन हैं जिन्हें निकाय चुनाव से पहले प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना के द्वारा हरी झंडी दिखाई गई थी। निगम सूत्रों के मुताबिक तब से अब तक य़े बिना नम्बर के ही सड़क पर दौड़कर निगम का काम निबटा रहे हैं।
केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर हाल में मिले बजट के क्रम में नगर निगम द्वारा लगातार वाहनों की खरीद की जा रही है। बिना नम्बर वाले वाहनों में 80 ऐसे है जिन्हे डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के लिए लगाया गया है। इसके अलावा साठ दूसरे बडे एवं लाइट विभाग के भी वाहन है। जिनकी मदद से एलईडी को सही किया जाता है। निगम के कविनगर जोन एवं सिहानी स्थित स्टोर आदि पर अनेक ऐसे निगम के हेल्थ और लाइट विभाग के वाहन देखने को ले सकते है।
नगर आयुक्त चंद्र प्रकाश सिंह का कहना था कि डाटा से वाहनों के चेसिस नंबर नहीं मिल पा रहे थे, जिसके चलते रजिस्ट्रेशन कराने में अड़चनें आड़े आ रहीं थीं। साथ ही ऑनलाइन व्यवस्था में भी अड़चनें आ रहीं थीं। अगले एक सप्ताह के भीतर नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन करा दिया जाएगा।
ट्रैफिक इंस्पेक्टर रमेश तिवारी ने कहा कि बगैर रजिस्ट्रेशन के वाहनों के संचालन का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। ऐसे वाहनों को जब्त किया जाएगा।