मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि करीब 500 साल बाद आज यह शुभ घड़ी आई है। इस घड़ी के इंतजार में ना जाने कितनी पीढ़ियों ने अपना बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भगवान राम वनवास काटकर अयोध्या वापस आए थे तो उस वक्त दिवाली मनाई गई थी। भले ही आज के लोगों ने वह समय नहीं देखा, लेकिन वही घड़ी याद आ रही है। क्योंकि 500 साल बाद भगवान राम मंदिर में विराजमान हुए हैं। उसी कड़ी में दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर में भी 5100 दीए जलाए गए हैं और पूरे मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है।