इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए गाजियाबाद के एसपी सिटी अभिषेक वर्मा ने बताया कि यह गैंग पिछले काफी समय से दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था और यह फर्जी तरह से कॉल सेंटर चलाने का कार्य करते थे। इनका एक बड़ा नेटवर्क है। इस गैंग ने बड़े रसूखदार व कार एजेंसियों के मालिकों के नाम से बैंक मैनेजरों को कॉल कर बैंक मैनेजरों को झांसा देकर पैसे ठगने का काम किया करते थे।
उन्होंने बताया कि यह लोग फर्जी आधार कार्ड पैन कार्ड पर फोटो मिक्सिंग कर फर्जी आईडी बनाकर उन फर्जी आईडी पर फर्जी सिम निकलवाते थे और उन नंबरों को अकाउंट में अपडेट करवाते थे। इस तरह अकाउंट नंबर का इंतजाम हाेने के बाद कॉलिंग करने के लिए फर्जी आईडी पर फर्जी सिम खरीदते थे और यह पता लगाया जाता था कि चार पहिया गाड़ी का शोरूम का खाता किस बैंक में है। इसके बाद उस शोरूम का मैनेजर कौन है। इसके बाद यह गैंग उस मैनेजर के नाम से अपने नंबर को ट्रूकॉलर पर सेव कर लेते थे और उसी मैनेजर का फोटो भी लगाया करते थे। जिसके बाद यह शोरूम का मालिक बन कर उस बैंक के मैनेजर से बात करते थे कुछ दिन तक बैंक के मैनेजर से बात करने के बाद जब मैनेजर उन लोगों के पूर्ण विश्वास में आ जाता था तब यह लोग अचानक बैंक के मैनेजर को फोन कर कहते थे कि आपको आरटीजीएस के लिए मेल किया जा रहा है अर्जेंट है आप इतना पैसा आरटीजीएस कर दीजिए जिसमें विनय यादव उर्फ बबलू कंपनी के फर्जी मालिक बनकर बैंक मैनेजर से कुछ दिन पहले से बात करना शुरू करते थे। जब बैंक मैनेजर विश्वास में आ जाता था और यह गैंग आसानी से दूसरे खाते में ट्रांसफर करा लिया करता था ।
एसपी सिटी ने बताया कि ऐसी एक शिकायत एक कार के शोरूम मालिक के द्वारा पुलिस से की गई थी जिसके आधार पर पुलिस ने अपना जाल बिछाया और इसके तक जा पहुंची पुलिस ने इस गैंग के गजेंद्र गौतम , विनय यादव , मुन्ना साहू, विशाल शर्मा ,पवन मांझी ,ब्रजमोहन ,कपिल ,चेतन और अफसर नाम के 9 शातिर लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इनमें से बबलू हिमाचल प्रदेश में अपराध कर चुका है । ये जेल भी गया है ओर जेल से ही इसने साइबर ठगी का काम अपने गुरु नरेंद्र साहू से सीखा है जो साइबर ठगी के आरोप में जेल में बन्द है।