फिलहाल संगठन के पदाधिकारी कह रहे हैं कि बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर तय होगा कि बसपा मेयर चुनाव लड़ेगी या नहीं। सूत्रों का कहना है कि बसपा मेयर चुनाव में नहीं उतरेगी, ऐेसी स्थिति में बसपा का भारी भरकम दलित वोट बैंक अब निर्णयक स्थिति में आ गया है। जो दल दलित वोट बैंक को साधने के काम में कामयाब हो जाएगा, उसके लिए जीत की दहलीज उतनी ही पास पहुंच जाएगी। बसपा के पास चुनाव को लेकर कोई रणनीति न होने की वजह से अभी कार्यकर्ताओं में उदासी है।
तीन विधानसभाओं पर है खासा वोट
जनपद गाजियाबाद में नगर निगम क्षेत्र की बात करें तो क्षेत्र में साहिबाबाद विधानसभा का 70 फीसदी, शहर विधानसभा क्षेत्र सौ फीसदी व मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र का 60 फीसदी हिस्सा मेयर सीट के दायरे में आता है। तीनों विधानसभा क्षेत्रों के अर्न्तगत वाले क्षेत्र में बसपा का दलित वोट बैंक भारी तादाद में है।
दलित वोटर से तय होगी पार्टियों की स्थिति
नगर निगम मेयर चुनाव में 11 लाख 77 हजार 2 सौ 64 मतदाता नए मेयर का निर्वाचन करेंगे। राजनीति के जानकारों का मानना है कि नगरीय क्षेत्र में दलित वोटरों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है, ऐसे में बसपा यदि मेयर चुनाव में नहीं उतरती है तो दलित वोट बैंक स्वतंत्र हो जाएगा, और जिसके पक्ष में दलित वोट करेगा, उस राजनैतिक दल की स्थिति बेहद मजबूत हो जाएगा। बसपा जिलाध्यक्ष प्रेमचंद भारती के मुताबिक उच्च कमान से मेयर चुनाव के बारे में जैसे ही कोर्इ गाइडलाइन उन्हें पूरा किया जाएगा।
ये है दलित बाहुल्य क्षेत्र
सद्दीकनगर, नूरनगर, नंदग्राम सिहानी, रईसपुर, संजयनगर, नासिरपुर, कालका गढ़ी, जटवाडा, पुराना विजयनगर, बागू क्रिश्चननगर, शिब्बनपुरा, हरवंशनगर, मालीवाडा प्राणगढ़ी, दौलतपुरा, नंदग्राम दीनदयाल पुरी, पटेलनगर मुकुंदनगर, कैलाशनगर, अम्बेडकर नगर, घूकना, अर्थला, भोपुरा, मकनपुर, शिवपुरी, सेवानगर,संजयनगर गुलधर, जनकपुरी, प्रताप विहार सेक्टर-11, प्रेमनगर भट्टाजात, कैलाभट्टाजात आदि क्षेत्र दलित वोट बैंक बाहुल्य क्षेत्र कहलाए जाते हैं।