परिवार में अकेला कमाने वाला दरअसल, कांस्टेबल मंसूर तुलसी निकेतन चौकी पर तैनात हैं। उनके पिता मुरादाबाद के गांव उमरीकलां में किसान हैं। मंसूर के परिवार माता-पिता, पत्नी रन्नूम, ढाई साल की बेटी फातिमा, चार महीने की बेटी कातिजा व 6 अन्य भाई हैं। पूरे परिवार का जिम्मा उन पर ही है। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मंसूर की ड्यूटी हरदोई में थी। वहां अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद मंसूर ने गाजियाबाद के एक अस्पताल में चेकअप कराया। इसमें उनको ब्लड कैंसर का पता चला।
सर गंगाराम अस्पताल में हैं भर्ती फिर उन्हें एमएमजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। उनकी हालत को देखते हुए यहां से उन्हें दिल्ली में एम्स रेफर कर दिया गया लेकिन वहां उनको बेड खाली नहीं मिला। इसके बाद वह 24 मई को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती हो गए। वहां उनको करीब 22 लाख रुपये का खर्च बताया गया। मंसूर के पिता अब तक पौने 3 लाख रुपये इलाज के लिए दे चुके हैं।
महकमे ने दिया साथ ऐसे में मंसूर के सामने समस्या खड़ी हो गई। इस बुरे वक्त में उनके साथ पुलिस महकमा खड़ा हुआ। इसके बाद थाने में तैनात 213 पुलिसकर्मियों ने अपने सामर्थ्य अनुसार रुपये जमा किए। ऐसे करके उन्होंने 2 लाख 31 हजार रुपये जमा किए। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने ईद से पहले उनके पिता को 2.31 लाख रुपये दिए। गाजियाबाद पुलिस ने ट्वीट करते हुए लिखा है, थाना साहिबाबाद के समस्त पुलिस स्टाफ द्वारा सहयोग करके थाने पर तैनात कैंसर से पीड़ित आरक्षी मंसूर के परिजनों को 2,31000 रुपये की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की गई। इसके साथ ही उन्होंने मंसूर जल्द स्वस्थ होने की कामना भी की। सीओ साहिबाबाद डॉ. राकेश मिश्रा का कहना है कि पुलिस विभाग आगे भी उनकी सहायता करता रहेगा।
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