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बेटे से जुदाई की पीड़ा पीएम को बतायी, जानिए पीएम मोदी ने क्या दिया जवाब

locationगाज़ियाबादPublished: Jun 18, 2021 04:25:41 pm

Submitted by:

lokesh verma

कोरोना संक्रमण के चलते बेटे को अलग रखने पर मां ने लिखी दर्दभरी कविता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह साल के बच्चे की मां के साथ उनके साहस और सकारात्मक सोच के लिए प्रशंसा की।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद. कोरोना महामारी के दौर में न जाने कितने बच्चे अनाथ हो गए हैं और कितने ही दंपतियों ने अपनी संतानों को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया है। वहीं, गाजियाबाद (Ghaziabad) के एक दंपती ने कोरोना संक्रमित होने केे बाद भी ऐसी मिसाल पेश की है, जिसके लिए उनकी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी तारीफ की है। दंपती ने न केवल खुद को कोरोना से बचाया, बल्कि अपने इकलौते 6 वर्षीय बेटे को भी आंच तक नहीं आने दी।
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दरअसल, पूजा वर्मा पति गगन कौशिक और 6 साल के बेटे के साथ गाजियाबाद के सेक्टर-6 स्थित एक तीन कमरों के फ्लैट में रहते हैं। पूजा और गगन अप्रैल में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। अब उनके सामने ये समस्या थी कि अगर वह दोनों क्वारंटीन हो गए तो उनके इकलौते बेटे को कौन संभालेगा। इसके बावजूद दोनोंं ने साहस का परिचय देते हुए अलग-अलग कमरे में क्वारंटीन होने का फैसला किया। तीनोंं फ्लैट के अलग-अलग कमरे में रहे। पूजा ने बताया कि यह छह साल के बच्चे के लिए आसान नहीं था। वह अपने माता-पिता का प्यार पाने के लिए तरस रहा था और यह समझने में असमर्थ था कि कोरोना वायरस क्या है? इस तरह अलग-अलग रहने की क्या जरूरत है? पूजा ने इस दौरान आने वाली तमाम परेशानियों को एक कविता के माध्यम से बयां किया और उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी साझा किया। पीएम मोदी ने छह साल के बच्चे की मां के साथ उनके साहस और सकारात्मक सोच के लिए प्रशंसा की है। साथ ही कहा कि आपकी कविता उस मांं की चिंता को व्यक्त करती है, जब वह बच्चे से दूर होती है।
बच्चे सेे अलग रहने के दौरान पूजा ने लिखी थी ये कविता

कभी कहता है मैं, मम्मी, मम्मा नाराज हो क्या?

न जाने कितने जतन किए मां को पास बुलाने के

आंखों में आंसू लेकर कहता आज तो मेरे पास सोओगी न?
नींद नहीं आती मुझे, आपके साथ के बिना

चाहे तो मुझे बस सुला के चली जाना मां, मम्मी, मम्मा

जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

ये कैसी मजबूरी है, ये कैसी दूरी है?
पास होकर भी मां बेटे में दो गज की दूरी है,

ये कैसी महामारी, ये कैसी आपदा आई है जग में

मां की ममता, पिता का प्यार आज है लाचार

मां का दिल रह-रहकर गले लगना चाहे लाल तुझे
एक पल जिसे ओझल न होने दिया अपनी आंखों से,

जाली से पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

क्या-क्या बहाने मे बनाता मां को पास बुलाने के

कभी कहता नहला दो, कभी कहता प्यारी मम्मी
कपड़े कुछ गीले हो गए हैं, बदल दो न

अच्छा ये तो बताओ, कल तो मेरे पास सोओगी न?

नहीं बेटा, अभी तो चौदह दिन की और बात है

फिर कहता, चौदह मतलब कितने?
वन, टू, थ्री और आज कौन सा दिन है?

ये सब सुनकर जोर-जोर रोता मां का मजबूर दिल है

क्यों जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

क्यों ये बीमारी है आई, क्यों ये दूरी बनाई है
दूर रहकर भी अपने लाल को सीने से लगाया मां ने

ढेरों आशीष देकर बलाओं से बचाया मां ने…

ढेरो आशीष देकर बलाओं से बचाया मां ने…

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