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गाज़ियाबाद

अधूरे औजारों के साथ होता है मुर्दों का पोस्टमार्टम

एनसीआर में गाजियाबाद सिर्फ कहने के लिए ही माॅडर्न है। जमीनी स्तर पर यहां
पर अस्पतालों में कोई उचित सुविधा नहीं है। यहां तक कि पोस्टमार्टम में
इस्तेमाल की जाने वाली किट भी यहां उपलब्ध नहीं है।

गाज़ियाबादFeb 06, 2016 / 06:54 pm

Sharad Mishra

गाजियाबाद। एनसीआर में गाजियाबाद सिर्फ कहने के लिए ही माॅडर्न है। लेकिन यहां पर अस्पतालों में कोई उचित सुविधा नहीं है। यहां तक कि पोस्टमार्टम में इस्तेमाल की जाने वाली किट भी यहां उपलब्ध नहीं है। जबकि एक पोस्टमार्टम के दौरान 72 उपकरणों की जरूरत पड़ती है। लेकिन बिना किट के गाजियाबाद में चंद औजारों से शवों का पोस्टमार्टम होता है। इससे मरने के सहीं कारणों का भी पूरी तरीके से पता नहीं चल पाता है। दबे मुंह पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर और कर्मचारी भी इस बात को मानते हैं। लेकिन खुलकर कोई सामने आने के लिए तैयार नहीं है।

मोर्चरी में आखिरी पीएम किट की याद डॉक्टरों को नहीं


गाजियाबाद जनपद के पोस्टमार्टम करने वाले किसी भी चिकित्सक को अब यह भी याद नहीं कि मोर्चरी में आखिरी बार पीएम किट कब आई थी। सूत्रों की मानें तो वहां मात्र सिर फोड़ने के लिए हैमर, बॉडी को चीरने के लिए नाइफ व फोरसिब और सीजर के अलावा और कुछ भी मौजूद नहीं है। यह उपकरण भी काफी पुराने हो चुके हैं। बॉडी को सुरक्षित रखने के लिए पॉलीथिन बैग्स तक नहीं उपलब्ध नहीं है। जिससे नमी के कारण शव जल्द ही सड़ने लगते हैं। इतना ही नहीं आए दिन डीप फ्रीजर खराब रहते हैं।

ताक पर रखे जाते है मानक

गाजियाबाद में पोस्टमार्टम किए जाने के दौरान तय मानकों को ताक पर रखा जाता है। अलग- अलग तरीके से हुई मौतों के लिए अलग-अलग औजारों से पोस्टमार्टम किया जाना चाहिए। जिससे मौतों के सही कारणों को सामने लाया जा सके। लेकिन जनपद के पोस्टमार्टम हाउस में कारण जानने के लिए जिन उपकरणों की जरूरत पड़ती है वह कभी आए ही नहीं। सूत्रों के मुताबिक कई बार चिकित्सक के बजाए वहां मौजूद स्वीपर ही शवों की चीरफाड़ कर चिकित्सक को जानकारी देते हैं। जिसके आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है।

पोस्टमार्टम के लिए जरूरी हैं यह उपकरण


फिंगरप्रिंट इंक, ट्यूब, इंक रोलर, रिमुवल वॉटलेस, क्लीनर कोगनेक, बोटल इंक क्लीनर, ग्लास इंक, स्लैब सिलमार्क, ग्रे कास्टिंग मैटेरियल ट्यूब, प्लास्टिक बोटल, हाईड्रोजन प्रोक्साइड, पॉलीप्रोलेन मिक्सिंग, स्वेडिया स्पेटुला ,फोरसिप पाइंटेड, राउंडेड नेलफाइल विद पांइट, स्केपल हैंडल, स्केपल ब्लेड, थिक रबर ग्लस्व, थिन रबर ग्लस्व, डिस्पोजिबल पॉलीथिन ग्लस्व, पॉलीथिन बैग्स, प्लास्टिक टेस्ट ट्यूब विद प्लास्टिक, स्टापर्स ब्रश फॉर हाईड्रोजन प्रोक्साइड, पोस्टमार्टम स्पून, क्रोमड सेट आफ थ्री फिंगर, स्टेचर्स बोटल आफ टिश्यू बुल्डर आदि।

सालों बाद भी सिर्फ 15 रुपए है पीएम फीस


गाजियाबाद के पोस्टमार्टम हाउस में पहले तो किट ही नहीं है। उधर शासन से भी पोस्टमार्टम करने के एवज में महज 15 रुपए का मानदेय मिलता है। एक डॉक्टर, एक फार्मस्टिट, एक वार्ड बॉय और स्वीपर मिलाकर छह सदस्य की टीम होती है। इनके हिस्से में इन 15 रुपए में से मात्र दो रूपए 75 पैसे ही पड़ते हैं। मगर इस फीस के लिए एक बार आवेदन करने में ही बीस से 50 रुपए का खर्च आता है।

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