जिसके बाद रिटायर्ड अफसर को धर्मेंद्र बिल्डर पर भरोसा हो गया। बस फिर क्या था। बिल्डर का असली खेल शुरू हो गया। बिल्डर ने रिटायर्ड अफसर को अपने नए काम में जोड़ा और उनसे एक बार फिर 15 लाख रुपए और दोबारा 5 लाख रुपए लिए। जिसकी एवज में बिल्डर ने 15 लाख का चेक भी दे दिया। इसके बाद धीरे-धीरे बिल्डर ने अपने नए प्रोजेक्ट में दूकान देने के एवज में लाखों रुपए लिए, लेकिन वो पूरा प्रोजेक्ट ही किसी तीसरे को बेच दिया।
पीड़िता का कहना है कि बिल्डर ने उन पर जबरन अपने बनाये सस्ते फ्लैट को महंगे दामों को लगाकर पीड़ित को अपने नाम कराने के लिए कहा। जिसके बाद 30 लाख रुपए के 2 फ्लैट को पीड़ित को 50 लाख से भी ज्यादा कीमत बताकर पीड़ित के जबरन नाम करवाये, ताकि वो पैसे न मांगे। उससे पहले पीड़ित को दिए चेक को 3 बार बैंक में पेश किया गया जो कि बाउंस हो गया। जिसके बाद बिल्डर ने सारा खेल किया और पीड़ित के 8 लाख रुपए का गबन कर लिया। साथ ही 20 लाख से भी ज्यादा महंगे फ्लैट पीड़ित को बेच दिए।
पीड़ित की मानें तो वो फ्लैट नहीं रखना चाहते और उन्होंने लगातार बिल्डर से गुजारिश की कि वो अपने फ्लैट वापस लेकर उन्हें पैसे दे दे। अब बिल्डर न तो फ्लैट वापस ले रहा है और ना ही गबन किये 8 लाख रुपए वापस दे रहा है। पीड़ित रिटायर्ड अफसर का कहना है कि उन्होंने सम्बंधित चौकी, थानों के चक्कर काट लिए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हार कर उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर अपनी शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद नोएडा के एसएसपी के जरिये शाहबेरी चौकी तक मामला पहुंच गया, लेकिन वहां से भी पीड़ित का मामला दर्ज नहीं हो रहा। अब पीड़ित अपने पैसे वापस लेने के लिए इधर उधर चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने गुहार लगाते हुए कहा कि उनकी जीवन की जमा पूंजी वापस नहीं मिली तो वो अधिकारियों और सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग करेंगे।