पैसे के लिए खूब जाम छलकवा रही सरकार
मोहम्मद इलियास/उदयपुर. छह साल में 4400 करोड़ रुपए बढ़ा दिया लक्ष्य
जयपुर•Nov 29, 2015 / 11:58 am•
गुजरात के बाद बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगते ही अन्य राज्य भी पाबंद करने की तैयारी में जुट गया है, लेकिन राजस्थान में सरकार इसे मोटी कमाई का जरिया मान बैठी है। तभी तो आबकारी से राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य सरकार हर साल बढ़ाती जा रही है। पिछले 6 साल में यह लक्ष्य 4400 करोड़ रुपए तक बढ़ा दिया गया। सरकार ने आबकारी विभाग में शीर्ष पर बैठे अधिकारी को पद नाम ‘मद्य निषेध पदेन आबकारी आयुक्तÓ दे रखा है लेकिन यह अधिकारी मद्य को निषेध करने के बजाय उसे खपाने और लक्ष्य पाने का काम कर रहा है। आबकारी से अधिकाधिक राजस्व अर्जन की सरकार की इस नीति का नतीजा है कि राज्य में पिछले वर्षों में जनसंख्या के अनुपात में प्रति व्यक्ति शराब की खपत कई गुना बढ़ गई है। शराब का यह शौक युवा पीढ़ी के सिर पर अधिक चढ़ रहा है और वे लत के शिकार एवं गुमराह होकर परिवार में बिखराव की स्थितियां को बढ़ा रहे हैं।
बढ़ रही खपत
आबकारी से राजस्व अर्जन का वर्तमान लक्ष्य 6500 करोड़ है। वर्ष 2009 में यह लगभग 2100 करोड़ था। इसे 6 वर्ष में 300 प्रतिशत बढ़ा दिया गया। इस लक्ष्य को साल-दर-साल घटाने के बजाय सरकार बढ़ा ही रही है।
कोर्ट आदेश पर हिला तंत्र
हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए हाईवे किनारे की समस्त दुकानों को 150 मीटर अंदर करने के आदेश जारी किए तो समूचा तन्त्र हिल गया था। विभाग का राजस्व लक्ष्य भी गड़बड़ा गया था। दो माह तक अधिकारी और मंत्री सकते में रहे। जोधपुर में हाईवे की सड़कों पर बनी दुकानों पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। यहां सड़क निर्माण की एजेन्सी ही बदल दी लेकिन राजस्व प्रभावित नहीं होने दिया। दो माह राजस्व में पिछडऩे के बाद लक्ष्य फिर पटरी पर ला दिया।
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