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गाजीपुर

लॉकडाउन इफेक्ट : पशुओं को सब्जियों का चारा बनाकर खिला रहे हैं किसान

लॉकडाउन की वजह से किसानों की सब्जियां खेतों में पड़े—पड़े बर्बाद हो चुकी है। मजबूरन किसान लौकी, नेनुआ की फसल को चारा मशीन से काटकर पशुओं को खिलाने को मजबूर हैं। केसीसी का लोन कैसे चुकाएंगे इसके लिए सब्जी किसानों को दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ा रहा है।

गाजीपुरJun 07, 2020 / 08:23 pm

Mahendra Pratap

महंगा हुआ पशुओ का चारा

महंगा हुआ पशुओ का चारा

गाजीपुर. लॉकडाउन की वजह से किसानों की सब्जियां खेतों में पड़े—पड़े बर्बाद हो चुकी है। मजबूरन किसान लौकी, नेनुआ की फसल को चारा मशीन से काटकर पशुओं को खिलाने को मजबूर हैं। केसीसी का लोन कैसे चुकाएंगे इसके लिए सब्जी किसानों को दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ा रहा है।
किसानों के सामने समस्या का पहाड़ खड़ा हो गया है। लॉकडाउन में समय से सब्जियों के न बिकने से सब्जियां रूढ़ होकर खराब हो चुकी है। जिनकी तादाद इतनी ज्यादा है कि हजारों के खर्च से इंसानों के लिए उगाई गई, यह सब्जियां अब पशुओं का चारा बन रही हैं। वहीं केसीसी के किस्त की चिंता किसानों को तिल—तिल कर मार रही है।
गाजीपुर के भांवरकोल थाना इलाके के भांवरकोल गांव के किसान उमाशंकर यादव बताते हैं, साहब देख रहे हैं क्या गुजर रहा है। 22 हजार बीघा की दर से 20 बीघा खेत लिया था। इसके अलावा बनिहार की मजदूरी, खाद, पानी, खुद की मेहनत भी लगाई थी। पिछली बार बाढ़ ने सब कुछ खत्म कर दिया। बारिश और पत्थर पड़ने से तो कमर टूट गई थी। बची कसर कोरोना ने पूरी कर दी।
छह बीघे में लौकी है बाकी नेनुआ की खेती किया था। कितना बेचू, लॉकडाउन में सब्जी की खेप न बिकने से खेतों में पड़े पड़े लोकी और नेनुआ रूढ़ हो गया। अब चारा मशीन से काटकर मजबूरन पशुओं को खिला रहे हैं। सब्जियां नहीं बिक रही हैं तो चारे से कहीं ज्यादा सस्ती है। इसीलिए पशुओं को ही खिला रहे है।
आसपास के लोगों या जो उनके उनके यहां सब्जी मांगने जाते है उन्हें मुफ्त ही सब्जियां दे देते हैं। उन्होंने कहा कैसे बाल बच्चे जिएंगे, भगवान जाने। ऊपर के अधिकारी क्या करेंगे यह वही जाने। क्योंकि अब कलेजा सूख गया है।
लॉकडाउन इफेक्ट : पशुओं को सब्जियों का चारा बनाकर खिला रहे हैं किसान
बात करते हुए पति पत्नी दोनों मिलकर सब्जियों को चारा मशीन में काट रहे थे। उमाशंकर यादव की पत्नी शिव कुमारी से जब हमने सवाल किया कि कैसे परिवार का गुजर-बसर चल रहा है। जिसका जवाब देते हुए वह बताती हैं कि कूल चीज बर्बाद हो गईल। हम किसान के खेत भी पहुंचे। जहां हजारों की संख्या में रूढ़ लौकी और नेनुआ खेत में बिखरे पड़े नजर आए आए। जो लॉकडाउन डाउन के खौफनाक मंजर की खुद गवाही दे रहे थे। किसान ने खेत दिखाते हुए कहा कि आप खुद देख लीजिए यह सही है या गलत है। सब रुढा पड़ा हुआ है।
उन्होंने बताया कि केसीसी से 2.60 लाख का लोन भी लिया है। ब्याज भी काफी बढ़ गया होगा। कितना बढ़ा होगा यह बैंक और भगवान जाने। कैसे चुकाऊंगा यही सोच रहा हूँ। किसी के यहां चरवाही हरवाही कर लूँगा। कैसे बाल बच्चे जिएंगे जिएंगे यही सोच रहा हूं। इसलिए कलेजे को पत्थर बना रहा हूं। आपको बता दें कि उमाशंकर ने पेशगी पर 20 बीघा खेत ,खेती करने के लिए लिया था लेकिन अब सब कुछ बर्बाद हो चुका है। खेती बर्बाद होने के बाद अब किसान के सामने केसीसी की किस्त चुकाने की समस्या पहाड़ बनकर खड़ी है।
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