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गोंडा

न इंश्योरेंस न फिटनेस फिर भी फर्राटा भर रहे एंबुलेंस व अस्पताल के अन्य वाहन इनको नहीं है नियम कानून की कोई परवाह

गोंडा उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद में सरकारी वाहनों के लिए कोई नियम कानून नहीं है। गाड़ियों के ना तो इंश्योरेंस हैं न ही फिटनेस फिर भी मरीज व अस्पताल के कर्मचारियों की जान जोखिम में डालकर सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं। इनको नियम कानून की कोई परवाह नहीं है।

गोंडाJun 25, 2022 / 12:44 pm

Mahendra Tiwari

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बाबू ईश्वर सरण जिला व महिला चिकित्सालय में मरीजों को आपातकाल की स्थिति में लाने ले जाने के लिए 82 108 व 102 एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त एक टाटा सुमो तथा मंडल के चारों जनपदों में ब्लड कलेक्शन के लिए चलाई जा रही बस के न बीमा है और न ही इंश्योरेंस के साथ-साथ कोई कागजात नहीं है। फिर भी इससे ब्लड कलेक्शन का कार्य किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि संभागीय परिवहन विभाग के नियम कानून से इनका कोई लेना देना नहीं है। जिससे मरीजों की जान जोखिम में डालकर सड़कों पर यह वाहन फर्राटा भरते नजर आ जाएंगे। मजे की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी ऐसे वाहनों से चल रहे हैं। इस संबंध में अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि हमारे यहां 4 शव वाहन है। जिसमें दो अस्पताल से तथा दो सीएमओ कार्यालय से संबद्ध हैं। जिसमें सीएमओ कार्यालय के एक वाहन चल नहीं रहा है। दूसरे में बताया जा रहा है कि तेल का बजट नहीं मिल रहा। हमारे पास दो राजकीय एंबुलेंस है। जो चल रही हैं। 108 व102 वाहनों की संख्या 82 है। एक पूरे मंडल के लिए ब्लड कलेक्शन बस है। इन वाहनों के फिटनेस व इंश्योरेंस ना होने की बात पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बचाव करती नजर आई। उनका कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं ऑफिस से यह बताया गया है। कि सारे कागजात ड्राइवर के पास होते हैं। मुझे इसकी अब जानकारी हुई है। यदि नहीं है तो उसे विभागीय नियमानुसार कराया जाएगा। हालांकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी राधेश्याम केसरी वाहनों के फिटनेस व इंश्योरेंस कराने को लेकर आरटीओ को पत्र लिख चुके हैं। इस संबंध में एआरटीओ बबीता वर्मा ने बताया कि शासन द्वारा 15 मई से 19 जून तक अट्ठारह कैटेगरी में विशेष अभियान चलाया गया था। जिसके तहत करीब एक हजार वाहनों का चालान कर 30 लाख रुपए शुल्क वसूला गया था। एंबुलेंस व सरकारी वाहनों के बाबत जानकारी देते हुए कहा इसके लिए भी एक सप्ताह का अभियान चलाया गया। जिसमें अस्पताल में जाकर एंबुलेंस सहित करीब 18 गाड़ियों का चालान किया गया था।

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