एम्स का वाहन स्टैंड शुरू से ही विवादों में रहा है। स्टैंड की शुरुआत 30 मई 2023 में की गई थी। उस समय एसएसआईपीएल नाम से पर्ची काटकर वसूली की जा रही थी। लेकिन वसूली पर विवाद होने पर एसएसआईपीएल की पर्ची हटा दी गई। इसके बाद बिना नाम से पर्ची कटने लगी। स्थिति ऐसी हो गई है कि जितनी बार मरीजों के वाहन बाहर आते-जाते उतनी बार पैसा वसूला जाता था। इसे लेकर कई बार हंगामा हुआ। इस पर एम्स प्रशासन ने अस्थायी स्टैंड बनवाते हुए बिना किसी टेंडर के स्टैंड बनवा दिया। इसके बाद तय हुआ कि तीन माह बाद टेंडर निकाल स्थायी समाधान किया जाएगा। लेकिन एक साल से अधिक का समय बीत चुका है। आज तक टेंडर नहीं निकल सका है। इस बीच बुधवार को आधा दर्जन से अधिक युवक मरीज और उनके तीमारदारों से वाहन खड़ा करने को लेकर भिड़ गए।
बताया जा रहा है कि एक युवक ने धमकी भी दी। पीड़ित ने मामले की शिकायत उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर कोर कंपनी के मुख्य सुपरवाइजर विजेंदर सिंह सोलंकी से की है। कार्यवाहक सीएमएस डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि अगर सादे में वसूली की जा रही है तो गलत है। नियमानुसार वसूलने का अधिकार गार्ड को है। गार्ड को नेमप्लेट और वदी के साथ रहने के निर्देश दिए गए हैं। बदसलूकी करने वाले गार्ड के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं, उप निदेशक प्रशासन अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। गार्ड के खिलाफ कठोर प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।