कथा व्यास ने कहा कि भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है।
कहा की भगवान शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव को महाकाल, आदिदेव, किरात,शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ आदि नाम प्रचलित है। भगवान शिव को रूद्र नाम से जाना जाता है रुद्र का अर्थ है रुत दूर करने वाला अर्थात दुखों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है।
कथा व्यास की आरती गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, योगी शांतिनाथ तथा यजमान जवाहरलाल कसौधन, अरुण कुमार अग्रवाल, विष्णु अजितसरिया, ओम प्रकाश कर्मचंदानी के साथ आज की कथा का समापन हुआ । कथा समाप्ति के बाद यजमानगण तथा धर्मप्रेमी श्रद्वालुओं ने यज्ञ मण्डप की परिक्रमा भी की। तीसरे दिन की कथा में माता पार्वती की झाॅकी प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर पवन त्रिपाठी , मंटू यादव, अंकुर अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, शशांक शास्त्री, शुभम मिश्रा, बृजेश मणि मिश्र, डॉ. रोहित कुमार मिश्र, डॉ.अभिषेक पाण्डेय, डॉ. प्रांगेश मिश्र आदि विद्यापीठ के आचार्यगण तथा भारी संख्या में धर्मप्रेमी श्रद्वालु उपस्थित रहे।