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गोरखपुर

यूपी का यह ‘पिकनिक स्पाॅट’ क्यों है हत्यारों के लिए लाशों का ‘डंपिंग स्पाॅट’

साल में औसतन आधा दर्जन लाशें यहां मिल जाती
शवों को आसानी से यहां ठिकाने लगा दिया जाता है
कई बार जंगल में ही हत्या कर फेंक कर फरार हुए अपराधी

गोरखपुरJul 15, 2019 / 01:01 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

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माह भर पहले कुसुम्ही जंगल में एक महिला की लाश मिली थी। महिला को गला रेतकर मार डाला गया था। पुलिस ने तफ्तीश आगे बढ़ाया तो पता चला कि महिला महराजगंज की रहने वाली है। बच्चा नहीं होने पर पति दूसरी शादी करना चाह रहा था और जब महिला राह में रोड़ा अटकायी तो एक दोस्त के साथ मिलकर पति ने हत्या कर दी। वारदात स्थल चुना कुसुम्ही जंगल। घूमाने के बहाने पति महिला को लेकर आया और वारदात को अंजाम देकर घने जंगलों में शव को ठिकाने लगाकर चला गया।
कुसुम्ही जंगल में इस तरह के वारदात की यह बानगी भर है। शहर से सटे प्रसिद्ध कुसुम्ही जंगल पिकनिक मनाने वालों की पहली पसंद तो है ही अब अपराधियों व अपराधी मानसिकता वालों की भी पसंदीदा स्थल बन चुका है। हर साल यहां घूमने-पिकनिक मनाने के बहाने अपराध को भी अंजाम दिया जा रहा है। आए दिन कुसुम्ही जंगल में कोई न कोई लाश बरामद हो रही है। हालात यह कि विनोद वन, प्रसिद्ध देवी मंदिर वाले इस जंगल क्षेत्र में लोग जा तो रहे हैं लेकिन दहशत उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है।

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लोग परिवार संग आते, युवक-युवतियां पिकनिक मनाने जुटते

लकड़ी तस्करी के लिए जाना जाने वाला कुसुम्ही क्षेत्र पर्यटन की नजर से भी एक पसंदीदा जगह है। यहां हर रोज हजारों लोग आते जाते हैं। युवक-युवतियां जंगलों में पिकनिक मनाते हैं। यहां स्थित देवी मंदिर में भी हजारों श्रद्धालु आते हैं। विनोद वन में पिकनिक मनाने लोग बच्चों के साथ आते हैं। यहां हिरण, बंदर, अजगर, खरगोश सहित तमाम जंगली जानवर लोगों को आकर्षित करते हैं।
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साल में कम से कम आधा दर्जन लाशें होती है बरामद

शहर से सटे कुसुम्ही जंगल में हर साल करीब आधा दर्जन लाशें मिलती है। इन लाशों में सबसे अधिक शव महिला या युवतियों के होती है। जानकार बताते हैं कि जंगल के बीचोबीच से रास्ता गुजरता है जो हाईवे से सीधे जुड़ा हुआ है। देर शाम के बाद से यहां आवागमन बेहद कम हो जाता है। इसी का फायदा अपराधी उठाते हैं। हत्या कर लाश फेंकने या हत्या करने के लिए सबसे मुफीद जगह मानते हैं। पुलिसिया आंकड़ों पर ही अगर गौर करें तो महीना में एक शव तो मिल ही जाता है। ज्ञात आंकड़ों के अनुसार 2015 में चार शव यहां से बरामद हुए। जबकि 2016 में तीन शव। इसी तरह 2017 में पांच लाशें पुलिस ने बरामद की तो बीते साल 2018 में आधा दर्जन शव बरामद हुए। इस साल पांच महीनों में चार लाशें मिल चुकी थीं।
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रात में तस्कर हो जाते हैं सक्रिय, पुलिस गश्त बेहद कम करती

कुसुम्ही जंगल कीमती पेड़ों से भरा पड़ा है। यहां रात में वन तस्कर काफी सक्रिय रहते हैं। आए दिन यहां पेड़ काटने का मामला सामने आता है। वन विभाग के अलावा यहां पुलिस का भी एक पिकेट है। लेकिन हकीकत यह कि रात में पुलिस गश्ती भी कम ही होती।
छेड़खानी की घटनाएं भी खूब होती

कुसुम्ही जंगल में महिलाएं और युवतियां सुरक्षित नहीं हैं। आए दिन यहां लड़कियों व महिलाओं संग छेड़खानी की घटनाएं सामने आती हैं। कई बार युवक-युवतियां घूमने जाते समय दुव्यर्वहार की शिकार होती हैं।

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