Read this also: हेलमेट पहन बाइक चलाते मिले पति तो पत्नी को मिलेगा श्रेष्ठ पत्नी का प्रशस्ति पत्र दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के बड़े भाई प्रेम बिहारी बाजपेई की शादी गोरखपुर के स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित की बेटी रमावति देवी उर्फ बिट्टन से वर्ष 1940 मई में हुई थी। यही वह वक्त था जब पहली बार किशोर अटल बाबा गोरक्षनाथ की धरती पर पहली बार पधारे थे। तब कोई नहीं जानता था कि सुंदर कदकाठी वाला यह किशोर एक दिन पूरे देश की मानसपटल पर छा जाएगा। तब अटल बिहारी बाजपेयी यहां सहबाला बनकर आए थे।
मथुरा प्रसाद दीक्षित के दो पुत्र कैलाश नारायण दीक्षित व सूर्यनारायण दीक्षित थे। उनसे उम्र में अटल जी थोड़े छोटे पर उनकी खूब पटती थी। अटल जी की मां जबतक जीवित थीं तब वे ग्वालियर छुट्टियां बीताते थे लेकिन उनके निधन के बाद वे गोरखपुर आने लगे। जानने वाले बताते हैं कि यहां बड़े भाई के ससुराल में उनको बहुत मान-सम्मान मिलता था। दीक्षित बंधुओं की मां फूलमती उनका खास ख्याल रखती थीं। वह एक मां की तरह उनका ख्याल रखती। यहां सभी लोग अटलजी के शौक से वाकिफ थे। उनको खीर आदि बेहद पसंद थे।
उनके खाने-पीने का सभी खूब ध्यान रखते थे। अटलजी को भी यहां घर जैसे वातावरण का एहसास होता था। हालांकि, राजनीति में आगे बढ़ने के बाद उनको बहुत कम समय मिलता था लेकिन जब कभी मौका पाते थे तो वह यहां जरूर आते थे।
इस परिवार की तीसरी पीढ़ी के सौरभ दीक्षित बताते हैं कि घर पर अंतिम बार अटल जी 1994 में आये थे। बाबाजी के ब्रह्मभोज में शामिल होने। वह कहते हैं कि राजनैतिक व्यस्तता की वजह से बाद के दिनों में आना जाना कम हुआ। हालांकि, वह लोग हमेशा आते जाते रहे।
मथुरा प्रसाद दीक्षित के दो पुत्र कैलाश नारायण दीक्षित व सूर्यनारायण दीक्षित थे। उनसे उम्र में अटल जी थोड़े छोटे पर उनकी खूब पटती थी। अटल जी की मां जबतक जीवित थीं तब वे ग्वालियर छुट्टियां बीताते थे लेकिन उनके निधन के बाद वे गोरखपुर आने लगे। जानने वाले बताते हैं कि यहां बड़े भाई के ससुराल में उनको बहुत मान-सम्मान मिलता था। दीक्षित बंधुओं की मां फूलमती उनका खास ख्याल रखती थीं। वह एक मां की तरह उनका ख्याल रखती। यहां सभी लोग अटलजी के शौक से वाकिफ थे। उनको खीर आदि बेहद पसंद थे।
उनके खाने-पीने का सभी खूब ध्यान रखते थे। अटलजी को भी यहां घर जैसे वातावरण का एहसास होता था। हालांकि, राजनीति में आगे बढ़ने के बाद उनको बहुत कम समय मिलता था लेकिन जब कभी मौका पाते थे तो वह यहां जरूर आते थे।
इस परिवार की तीसरी पीढ़ी के सौरभ दीक्षित बताते हैं कि घर पर अंतिम बार अटल जी 1994 में आये थे। बाबाजी के ब्रह्मभोज में शामिल होने। वह कहते हैं कि राजनैतिक व्यस्तता की वजह से बाद के दिनों में आना जाना कम हुआ। हालांकि, वह लोग हमेशा आते जाते रहे।