scriptअजातशत्रु अटल जी यहां खीर खाने आना नहीं भूलते थे | Untold story of ex PM Atal Bihari Vajpayee | Patrika News
गोरखपुर

अजातशत्रु अटल जी यहां खीर खाने आना नहीं भूलते थे

Atal ji Jayanti Specialकवि हृदय अटल बिहारी बाजपेयी की यादें यहां हैं रची बसी

गोरखपुरDec 25, 2019 / 04:49 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

अजातशत्रु अटल जी यहां खीर खाने आना नहीं भूलते थे

अजातशत्रु अटल जी यहां खीर खाने आना नहीं भूलते थे

राजनीति के अजातशत्रु अटल बिहारी बाजपेयी का गोरखपुर से गहरा नाता रहा है। अटल जी की बात हो और गोरखपुर उनको याद न करे। शायद ही ऐसा हो। याद भी क्यों न करे, गहरा नाता जो है उनका यहां से। अलीनगर के माली टोले का कृष्णा सदन इस नाते की गवाही आज भी देता है। यह घर अटलजी की कहानी सुनाते नहीं अघाता। यहां अटल जी अपना पसंदीदा खीर खाने के लिए आना नहीं भूलते थे। खानपान के शौकीन अटल को इस शहर की मेहमाननवाजी खूब भाती थी।
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दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के बड़े भाई प्रेम बिहारी बाजपेई की शादी गोरखपुर के स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित की बेटी रमावति देवी उर्फ बिट्टन से वर्ष 1940 मई में हुई थी। यही वह वक्त था जब पहली बार किशोर अटल बाबा गोरक्षनाथ की धरती पर पहली बार पधारे थे। तब कोई नहीं जानता था कि सुंदर कदकाठी वाला यह किशोर एक दिन पूरे देश की मानसपटल पर छा जाएगा। तब अटल बिहारी बाजपेयी यहां सहबाला बनकर आए थे।
मथुरा प्रसाद दीक्षित के दो पुत्र कैलाश नारायण दीक्षित व सूर्यनारायण दीक्षित थे। उनसे उम्र में अटल जी थोड़े छोटे पर उनकी खूब पटती थी। अटल जी की मां जबतक जीवित थीं तब वे ग्वालियर छुट्टियां बीताते थे लेकिन उनके निधन के बाद वे गोरखपुर आने लगे। जानने वाले बताते हैं कि यहां बड़े भाई के ससुराल में उनको बहुत मान-सम्मान मिलता था। दीक्षित बंधुओं की मां फूलमती उनका खास ख्याल रखती थीं। वह एक मां की तरह उनका ख्याल रखती। यहां सभी लोग अटलजी के शौक से वाकिफ थे। उनको खीर आदि बेहद पसंद थे।
उनके खाने-पीने का सभी खूब ध्यान रखते थे। अटलजी को भी यहां घर जैसे वातावरण का एहसास होता था। हालांकि, राजनीति में आगे बढ़ने के बाद उनको बहुत कम समय मिलता था लेकिन जब कभी मौका पाते थे तो वह यहां जरूर आते थे।
इस परिवार की तीसरी पीढ़ी के सौरभ दीक्षित बताते हैं कि घर पर अंतिम बार अटल जी 1994 में आये थे। बाबाजी के ब्रह्मभोज में शामिल होने। वह कहते हैं कि राजनैतिक व्यस्तता की वजह से बाद के दिनों में आना जाना कम हुआ। हालांकि, वह लोग हमेशा आते जाते रहे।
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