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गोरखपुर

BRD Oxygen Tragedy सरकार ने डाॅ.कफिल पर बिठाई एक और जांच, यूपी सरकार ने कही बड़ी बात

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने बताई डाॅ.कफिल के दावों की सच्चाई

गोरखपुरOct 03, 2019 / 06:40 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

File Photo: BRD Medical College Encefelitis ward

File Photo: BRD Medical College Encefelitis ward

बीआरडी मेडिकल कालेज, गोरखपुर में अगस्त 2017 में हुई बच्चों की मौत की घटना के सम्बंध में गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव रजनीश दूबे ने कहा कि डॉ. कफील को शासन की तरफ से कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है। डा. कफील अहमद खान द्वारा मीडिया माध्यमों और सोशल मीडिया पर जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों की स्वैच्छिक व भ्रामक व्याख्या करते हुए खबरें प्रकाशित कराई जा रही हैं।
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प्रमुख सचिव ने विभिन्न मीडिया संस्थानों एवं सोशल मीडिया में डॉ. कफील द्वारा खुद को जांच में दोषमुक्त बताए जाने के दावों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में घटित घटना में प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने के उपरान्त डा. कफील के विरुद्ध 4 मामलों में विभागीय कार्यवाही संस्तुति की गई थी। डा. कफील के विरुद्ध सरकारी सेवा में सीनियर रेजीडेन्ट व नियमित प्रवक्ता के सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने व निजी नर्सिंग होम का संचालन करने का आरोप साबित हो गया। जिन पर निर्णय लिये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अन्य 2 आरोपों पर अभी शासन द्वारा अन्तिम निर्णय नहीं लिया गया है।
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प्रमुख सचिव ने कहा कि जिन दो आरोपों में डॉ. कफील दोषी पाए गए हैं, वह गंभीर भ्रष्टाचार तथा नियमों के घोर उल्लंघन का मामला है। इन आरोपों को जांच अधिकारी द्वारा पूर्णतया सिद्ध पाते हुए यह बताया गया है कि डा. कफील सरकारी सेवा में रहते हुए निजी नर्सिंग होम मेडिस्प्रिंग हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर, रुस्तमपुर, गोरखपुर में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे। डॉ. कफील द्वारा प्रवक्ता, बाल रोग विभाग के पद पर योगदान करने के उपरान्त भी अनाधिकृत रूप से निजी प्रैक्टिस किया जा रहा था तथा मेडिस्प्रिंग हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर से जुड़े हुए थे।
प्रमुख सचिव ने कहा कि निलम्बन अवधि के दौरान डॉ. कफील अहमद खान द्वारा 22 सितंबर 2018 को तीन-चार बाहरी व्यक्तियों के साथ जिला चिकित्सालय बहराइच के बाल रोग विभाग में जबरन प्रवेश कर मरीजों का उपचार करने का प्रयास किया गया, जिससे चिकित्सालय में अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हुआ। डा. कफील खान द्वारा सरकारी सेवक के रूप में किया गया यह कृत्य और मीडिया में प्रसारित की गई भ्रामक जानकारियां अत्यन्त गम्भीर कदाचार की श्रेणी में आती हैं।
इस कारण उन पर एक और विभागीय कार्यवाही संस्तुति की गई है, जिनमें उनके ऊपर अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, कर्तव्य पालन में घोर लापरवाही करना शामिल है। जिसकी जांच के लिए प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण को जांच अधिकारी बनाया गया है। इस प्रकार उनके ऊपर कुल 7 आरोप अभी प्रक्रियाधीन है।
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