ग्रेटर नोएडा। जिन दस्तावेजों के सहारे अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा गया है आज वही दस्तावेज दादरी थाने के कबाड़ में धूल फांकते नजर आ रहे हैं। सुबह से शाम यहां सिपाही से लेकर अधिकारी तक कोतवाली का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उनकी निगाह में इन रिकॉर्ड पर नहीं जाती है। अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि हर 5 साल बाद पुराना रिकॉर्ड को नष्ट करने का नियम है। लेकिन जब तक इनको नष्ट नहीं कर दिया जाता, तब तक इस रिकॉर्ड को संभालकर रखना जरूरी होता है। इस मामले में जांच कराई जाएगी और लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद कई सुविधाएं मिली हैं और जर्जर होती बिल्डिंगों को नई जिंदगी भी। कुछ साल पहले ही कोतवाली दादरी की नई बिल्डिंग बनी है। तमाम सुविधाओं से युक्त इस बिल्डिंग में रिकॉर्ड रूम भी है लेकिन दस्तावेज रखने की जगह नहीं है। जिसके चलते दस्तावेज धूल फांकते नजर आ रहे हैं। कबाड़ में पड़े इन दस्तावेजों के बंडल को देखा जाता है। इन बंडलों से निकाल कर पेपर जहां तहां बिखर रहे है। आने जाने वाले लोग पेपरों को देखकर तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं।
बंडल के ऊपर 2013 का रोजनामचा लिखा हुआ है और बंडल में बदमाशों के आपराधिक रिकार्ड भी हैं। इसके अलावा ठगी, चोरी तमाम बदमाशों के रिकॉर्ड हैं। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल गलत मंशा से भी किया जा सकता है। लेकिन पुलिस वालों की उदासीनता के कारण न इन दस्तावेजों को ना तो संभाल के रखा गया है। ना ही इनका नियमानुसार निस्तारण किया जा रहा है। इस मामले में पूछे जाने पर डीसीपी राजेश कुमार का कहना है कि अगर दस्तावेज 5 साल पुराने हैं तो उनको नष्ट कर दिया जाना चाहिए। लेकिन नष्ट किए जाने से पहले दस्तावेजों को संभाल कर रखना होता है। ऐसे में अगर दस्तावेज कबाड़ में पड़े हैं तो यह एक बड़ी लापरवाही का मामला है और इस पर कारवाई की जाएगी।