बता दे सऊदी सुरक्षा बलों की ओर से बड़ी संख्या में राजनीतिक और उद्यमियों को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आदेश पर रियाद के एक होटल में रखा गया था। इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के विरुद्ध कदम के रूप में प्रचारित किया गया। किंतु विष्लेषकों ने इसे क्राउन प्रिंस की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के रूप में देखा। अधिकारियों के अनुसार- सभी बंदियों से समझौते के लिए बातचीत चल रही है।
मुजाब ने पिछले महीने भी कहा था कि ज्यादातर बंदी कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए वित्तय समझौते के लिए राजी हो गए है। जबकि बाकियों को अभी नजरबंद ही रखा गया है। उन्होंने कहा कि जिनके खिलाफ कानूनी कार्राई होगी, उन्हें ट्रायल व जांच के भिन्न स्तरों पर वकील हायर करने की अनुमति होगी। वित्तीय समझौते को स्वीकार करने पर कुछ लोगों को छोड़ा भी जा चुका है। रिहा किए जाने वालों में वित्त मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी और कारोबारी शामिल थे। बता दें, सऊदी सरकार की ओर से देश में भ्रष्टाचार के मामलों को समाप्त करने के ऐलान के बाद यह गिरफ्तारियां हुई थीं।
सऊदी में अवैध तरीके से रह रहे लोगों पर भी कार्रवाई
गौर हो, सऊदी अरब में सरकार ने इससे पहले वहां अवैध तरीके से रह रहे लाखों लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की है। पिछले साल 15 नवंबर को शुरू किए गए अभियान के तहत देशभर में छापेमारी करके 3,37,281 विदेशियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से ज्यादातर लोगों के पास आवास और वर्क परमिट नहीं था। प्रशासन ने एक बयान जारी करके बताया था कि हिरासत में लिए गए लोगों में से 65,715 लोगों को स्वदेश भेजा जा चुका है। हालांकि अभी तक इन लोगों की नागरिकता का पता नहीं चल पाया है।
काम करते हैं 32 लाख भारतीय एक रिपोर्ट के अनुसार- सऊदी अरब में काम करने वालों में भरतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है। लगभग 32 लाख भारतीय सऊदी में काम करते हैं। सऊदी सरकार ने पिछले साल अवैध तरीके से वहां रहने वाले लोगों को 90 दिन के भीतर अपने कागजात वैध कराने की चेतावनी दी थी।