शहर की स्थिति नियंत्रण में
शहर में करीब 3 लाख की आबादी 470 ट्यूबवेलों पर निर्भर है। वार्ड 16 में चार ट्यूबवेल सूखे हैं। लेकिन सिंध नदी से आ रही सप्लाई से आपूर्ति हो रही है। लेकिन मार्च के अंतिम हफ्ते तक संकट गहराने की आशंका है। क्योंकि जल स्तर नीचे जाने लगा है। जल प्रकोष्ठ प्रभारी जीके अग्रवाल ने बताया, शहर में जल संकट नहीं है। जहां मोटर खराब हो जाती हैं, वहां टैंकरों से पानी सप्लाई कर रहे हैं। नपा ने जल संकट से निपटने भी योजना बनाई है।
कहीं बिजली कटी तो कहीं मोटर खराब
बड़ी ग्राम पंचायतों की प्यास बुझाने नल जल योजनाएं संचालित हैं। जिले की 196 ग्राम पंचायतों में नल जल योजनाएं हैं, लेकिन इनमें से 19 खराब पड़ी हैं। इनमें से बड़ागांव, झूकरा, खेरखेड़ा, टोड़ी में बिजली नहीं होने से योजना बंद पड़ी है। खेरीखता, हिनोतिया, कुंदौल, भिंडरा, काबर बमोरी, माता मूडऱा, सुगनयाई, दुहावद, सागर गांव की योजना पंप खराब से बंद हैं। गौरा, जोहरी, जैतपुरा, घटावदा, गोल्याहेडा की नल जल योजना जीर्णशीर्ण हो गई हैं।
कुओं की ओर लौटेगा पीएचई विभाग
ट्यूबवेल और हैंडपंप के दौर में कुंए अस्तित्व खो दिए हों। लेकिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कुओं का निर्माण कराएगा। दरअसल, जल स्तर नीचे जाने से हैंडपंप और ट्यूबवेल फेल हो रहे हैं, लेकिन 40 से 60 फीट पर अब भी पानी है। खासकर तालाब और नदी के पास काफी पानी मिलता है। पीएचई विभाग, उन गांवों में कुंओं का निर्माण कराया, जहां नल जल योजनाएं सफल नहीं हो रही हैं। उधर, पीएचई विभाग द्वारा भेजे गए पत्र के बाद कलेक्टर ने प्राइवेट नलकूप खनन पर रोक लगा दी है। कोई भी व्यक्ति आपात स्थिति में ही ट्यूबवेल लगवा सकेगा। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के एसडीएम से मंजूरी लेना होगी।
बमोरी में बंद हो गए 362 हैंडपंप
गांवों में पानी की आपूर्ति हैंडपंपों पर निर्भर है। 1360 से अधिक छोटे-बड़े गांवों में 7368 हैंडपंप हैं। लेकिन जलस्तर नीचे खिसकने से 687 बंद हो गए। गुना में 1826 हैंडपंप हैं, इनमें से 102 बंद हो गए। बमोरी में 1554 में से 364 बंद, आरोन में 1022 में से 68 बंद, राघोगढ़ में 1486 में से 75 बंद और चांचौंड़ा में 1378 हैंडपंपों से 80 हैंडपंप बंद हैं। यानी जल संकट सबसे कम राघौगढ़ क्षेत्र में है। इसके बाद आरोन में भी स्थिति सामान्य है।