जिले के अधिकांश इलाकों में खेती में खड़ी चावल की फसल सूखने लगी है। खासतौर पर बमोरी क्षेत्र में नुकसान हो रहा है. सितंबर महीने में न के बराबर बारिश होने से यह स्थिति बनी है। हालांकि इस बार जुलाई के अंतिम सप्ताह और अगस्त के शुरुआती दिनों में रिकॉर्ड बारिश हुई थी. सीजन में जिले में 1662 मिमी बारिश दर्ज की गई है जबकि जिले में सामान्य बारिश 1053 मिमी ही है।
बमोरी में तो रिकार्ड 2284 मिमी बारिश दर्ज की गई लेकिन रिकॉर्ड बारिश के बाद भी अब फसल सूख रहीं हैं. फसल बचाने के लिए मजबूरी में किसानों को अपने साधनों से सिंचाई करनी पड़ रही है। इस बार जिले में किसानों की बोवनी भी काफी लेट हुई। सोयाबीन का रकबा बहुत कम हुआ और मक्का तथा चावल का रकबा हजारों हेक्टेयर बढ़ गया। बमोरी इलाके में किसानों ने चावल की फसल ज्यादा लगाई।
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इलाके के किसान बताते हैं कि सोयाबीन में लगातार हो रहे नुकसान के कारण इस बार अधिकतर किसानों ने चावल की फसल लगाई थी। चावल की फसल में अधिक पानी की जरूरत होती है लेकिन सितंबर महीने में बारिश न होने से फसल में पानी की कमी हो गई है. ऐसे में अब किसानों को ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। किसान फसलों की सिंचाई के लिए रात भर जाग रहे हैं.